
राजा-वजीर, चोर-सिपाही का खेल खेलने का तरीका हिंदी में Raja-Vajeer, Chor-Sipaahee Ka Khel Khelne Ka Tareeka Hindi Me
बच्चे इस खेल को बड़े चाव से खेलते है| यह इतना आकर्षक खेल है कि इसे न केवल बच्चे, बल्कि बुजुर्ग भी बड़े चाव से खेलते है| यह खेल गर्मियों के दिनो में खेला जाता है, लेकिन यह कोई निर्णायक अनुबंध नहीं है| इसे सर्दियों में भी खेला जा सकता है| इस खेल की सबसे बड़ी विशेषता, इसमे केवल एक सादे कागज व पेन की आवश्यकता होती है| यह खेल चार खिलाडियों के बीच खेला जाता है| इनके अतिरिक्त एक स्कोरर भी सम्मिलित किया जाता है| स्कोरर के बिना भी यह खेल खेला जा सकता है| उस स्थिति में चार खिलाडियों में से एक खिलाड़ी स्कोरर का दायित्व निभाता है|
राजा-वजीर, चोर-सिपाही का खेल खेलने कि तैयारी Raja-Vajeer, Chor-Sipaahee Ka Khel Khelne Ki Taiyaaree
एक कागज को लेकर उसके चार भाग कर लिए जाते है| ये चारों भाग आकार में समान होने चाहिए| इन पर्चियों पर क्रमशः राजा, वजीर और चोर, सिपाही लिख दिया जाता है| इन पर्चियों पर चारों खिलाडियों कि सहमति के आधार पर नंबर अंकित किए जाते है| इन नंबरो का अनुपात प्रायः 10, 5, 3 और 2 होता है| उदाहरणार्थ राजा के 1000 नंबर, वजीर के 500, सिपाही के 300 और चोर के 100 अंकित कर दिए जाते है|
इसके पश्चात एक कोरे कागज को चार सीधी रेखाओं द्वारा चार भांगों में बाँट दिया जाता है| इस प्रकार कागज पर चार खाने बन जाते है| चारों खानों में एक-एक खिलाड़ी का नाम लिख दिया जाता है|
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राजा-वजीर, चोर-सिपाही का खेल खेलने की प्रक्रिया Raaja-Vajeer, Chor-Sipaahee Ka Khel Khelne Kee Prakriya
चारों खिलाडियों के समक्ष उन पर्चियों को मोड़ दिया जाता है| यह चारों खिलाडियों में से भी एक खिलाड़ी कर सकता है|
इसके बाद वह उन पर्चियों को दोनों हाथों में लेकर हिलाता है| अब इन पर्चियों को चारों के समक्ष डाल दिया जाता है|
चारों खिलाड़ी इनमे से एक-एक पर्ची उठा लेते है| चारों अपनी-अपनी पर्ची गोपनीय तरीके से खोलते है|
उनमें से एक के पास राजा की पर्ची अवश्य आएगी| जिसके पास राजा की पर्ची आती है, वह कहता है,
“मेरा वजीर कौन है?”
जिस भी किसी के पास वजीर की पर्ची होती है, ‘मै’ बोलता है| राजा उसे आदेश देता है कि चोर, सिपाही का पता लगाओ|
वजीर बना खिलाड़ी अपने अनुमान से बचे हुए दोनों खिलाडियों में से चोर-सिपाही को ओर संकेत करता है|
यदि वजीर का अनुमान सही निकाल जाता है, तो उसकी पर्ची पर लिखे अंक उसको मिल जाते है,
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अब यहां अंकों का क्रम इस प्रकार होगा- राजा बने खिलाड़ी को 1000, वजीर बने खिलाड़ी को 500, सिपाही बने खिलाड़ी को 300 और चोर बने खिलाड़ी को 100, लेकिन वजीर का अनुमान यदि गलत सिद्ध हो जाता है, तो राजा और सिपाही के अंक तो वही अंकित किए जाते है, लेकिन चोर और वजीर के अंक परस्पर बदल जाते है| इस स्थिति में वजीर बने खिलाड़ी को 100 अंक और चोर बने खिलाड़ी को 500 अंक मिल जाते है|ये अंक उनके नाम के बने खानों में अंकित कर दिए जाते है|
अंकों के अंकित होने के साथ ही खेल की एक पारी समाप्त हो जाती है| दूसरी पारी के लिए फिर वही प्रक्रिया दोहराई जाती है| कितनी पारी खेलनी है, यह पहले ही निश्चित कर लिया जाता है|
खेल समाप्त होने पर उनके नाम के खानों में अंकित अंको का योग कर लिया जाता है| जिस खिलाड़ी के अंक सबसे अधिक होते है, वह राजा और अवरोही क्रम में अंकों के आधार पर वजीर,सिपाही और चोर का निर्णय हो जाता है|