छुट्टियों में दिलकश नज़ारों से भरी रेणुका झील की यात्रा करे

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रेणुका झील हिमाचल का इतिहास और यात्रा  Renuka Jheel Himachal Ki History and Travel Information Hindi Me

अगर आप कहीं पुराने पर्यटन स्थलों पर नहीं जाना चाहते, तो आपके लिए रेणुका झील से सुंदर जगह कोई और नहीं | गर्मियों की छुट्टियां की प्लानिंग फरवरी-मार्च से ही होने लगती है, तो आप जब भी गर्मियों की छुट्टियां बिताने की योजना बना रहे हैं |

इस साल छुट्टियों में हम आपको कुछ ऐसे पर्यटन स्थलों का विवरण दे रहे हैं, जो कुछ हद तक अछूते हैं जिनके बारे में आपने कम ही पढ़ा और सुना होगा |

प्रकृति के करीब हरी-भरी वादियों में घूमने का मजा ही कुछ और है | ध्यान रखें कि घूमने की योजना बनाने के साथ ही बस या ट्रेन में आरक्षण जरूर करवा लें |

अगर आपको पहले से रास्तों और ठहरने की जगहों की जानकारी है, तो यात्रा और सुखमय बन जाएगी | तो आप तैयार हैं ना अपना बोरिया बिस्तर बांध कर |

हमारी तरफ से शुभ यात्रा हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले के मुख्यालय नाहन से बस 40 किलोमीटर दूर है, रेणुका झील | 3 किलोमीटर लंबी और आधा किलो मीटर चौड़ी इस डील में कुदरत ने अनमोल खजाना छिपा रखा है | आराम करती हुई एक स्त्री के आकार में फैली यह झील चारों तरफ हरियाली और घने जंगल से गिरी है |

रेणुका झील का इतिहास

इस झील का नाम रेणुका पड़ने के पीछे अनेक रोचक किवदंतियां है | कहा जाता है कि इसी स्थान पर महर्षि परशुराम ने अपने पिता ऋषि जमदग्नि के कहने पर अपनी माता रेणुका का वध किया था | पौराणिक कथाओं के अनुसार प्राचीन काल में यहां सहस्त्रबाहु नामक राजा का राज्य था, वह बहुत ही अहंकारी और अत्याचारी था, उसने ही महर्षि परशुराम के पिता ऋषि जमदग्नि का वध किया था | जब वह उनकी माता रेणुका की ओर बढ़ा तो धरती फट गई और वह उसमें समा गई | उनकी धरती में समाधि लेते ही वह पानी भर गया और झील बन गई | उस झील का नाम रेणुका पड़ा |

रेणुका झील में क्या देखने लायक है ?

झील के किनारे 18 वीं सदी में निर्मित रेणुका माता का मंदिर है | कहा जाता है कि इस मंदिर का निर्माण रातों रात हो गया था | रेणुका झील के नीचे की ओर एक परशुराम साल है और यहां परशुराम का मंदिर है |

रेणुका झील के आसपास का वातावरण बहुत खूबसूरत और शांतिपूर्ण है | हरे-भरे पेड़ शीतल स्वच्छ जल में रंग बिरंगी मछलियां, खूबसूरत लता कुंज, आश्रम का रोमांचकारी चिड़ियाघर और पास बहती गिरी नदी |

झील में नौकायन के लिए नावें भी उपलब्ध है और आप वहां नौकायन का आनंद ले सकते हैं | रेणुका झील के चारों ओर स्थित चिड़ियाघर बच्चों को बहुत लुभाता है | हिमाचल सरकार के अंतर्गत आने वाले इस चिड़ियाघर में बारासिंगा, हिरण, भालू, बाघ, शेर आदि जानवर संरक्षित है |

झील में खूबसूरत पक्षी और तरह-तरह की चिड़िया देखी जा सकती हैं | उनके चिकने और खूबसूरत रंगों से रेणुका झील के आसपास का क्षेत्र गूंजता रहता है और यहां पर बहुत सुंदर-सुंदर मोर भी है, जिनको देखने का आनंद ही कुछ और है |

रेणुका झील का मेला

दीपावली के ठीक 10 दिन बाद यहां पर एक मेला लगता है, इसमें शामिल होने के लिए दूर-दूर से रथ यात्राएं और पालकियां पहुंचती हैं | लोग झील में स्नान कर रेणुका माता की पूजा करते हैं और झील की परिक्रमा करते हैं | मेले में अखरोट, लकड़ी के खिलौने मिलते हैं |

समुद्र तल से 226 फुट ऊंचाई पर स्थित रेणुका में आमतौर पर ना ज्यादा गर्मी होती है और ना ज्यादा सर्दी | दिसंबर से फरवरी तक हल्की ठंडी रहती है | रात को आग जलाकर कैम्फायर का मजा भी लिया जा सकता है |

रेणुका झील कैसे पहुंचे

नाहन, दिल्ली, चंडीगढ़, अमृतसर, सहारनपुर, पटियाला और शिमला से सड़क मार्ग से जुड़ा हुआ है | देहरादून से नाहन 95 किलोमीटर दूर है | नाहन से उत्तर दिशा की ओर मोटर या बस से 37 किलोमीटर की यात्रा करके रेणुका पहुंचा जा सकता है | नाहन से प्रतिदिन 45 बसें रेणुका जाती है |

रास्ता उतार-चढ़ाव से भरा हुआ है | सड़क पक्की है | रेणुका पहुंचने के लिए एक रास्ता पौंटा साहब की ओर से भी जाता है | देहरादून से पोंटा साहब मात्र 15 किलोमीटर की दूरी पर है |

रेणुका झील के पास रुकने का स्थान

झील के किनारे ही हिमाचल प्रदेश पर्यटन निगम का एक आकर्षक काफी हाउस भी है और टूरिस्ट विश्रामगृह है | यहाँ  चार यूनिट का एक खूबसूरत आरामदायक डाकबंगला भी है | इसके अलावा रेनुका विकास बोर्ड द्वारा निर्मित खुर्जा पवेलियन भी है | इस पवेलियन में एक बहुत बड़ा डॉन बैटरी हाल भी है एडवेंचर के शौकीन लोग अपना टेंट आदमी लेकर जा सकते हैं कैंपिंग के लिए भी यहां स्थान है पूजा पाठ में रुचि रखने वाले लोग झील के किनारे बसे आश्रमों में भी रह सकते हैं यहां पूजा कलामंच भी है परिवार के साथ छुट्टियां मनाने के लिए रेणुका एक बेहतरीन जगह है