
रित्विक भट्टाचार्य का जीवन परिचय (Ritwik Bhattacharya Biography In Hindi Language)
नाम : रित्विक भट्टाचार्य
जन्म : 14 अक्टूबर 1979
जन्मस्थान : वेनेजुएला
रित्विक भट्टाचार्य ने फरवरी 1977 में एशियाई जूनियर स्क्वाश चैंपियनशिप में भारत के लिए कांस्य पदक जीता | वह भारत में चार बार राष्ट्रीय चैंपियन रह चुके हैं | उन्होंने 1997 में सेना के सर्वोच्च कमांडर से स्क्वाश में श्रेष्ठता का प्रमाणपत्र प्राप्त किया । 1996-97 में उन्हें राष्ट्रपति द्वारा सर्वश्रेष्ठ ‘आलराउंडर खिलाड़ी’ का पुरस्कार प्रदान किया गया |
रित्विक भट्टाचार्य का जीवन परिचय (Ritwik Bhattacharya Biography In Hindi)
रित्विक को भारत का सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी माना जाता है । वह एकमात्र भारतीय खिलाड़ी हैं जो पीएसए टूर के लिए खेल रहे हैं ।
रित्विक भट्टाचार्य का जन्म वेनेजुएला में हुआ था । उनका 8 वर्ष तक का बचपन वहीं मस्ती करते हुए बीता । वहाँ उन्हें तैराकी करने व बेसबाल खेलने में आनंद आता था । फिर अचानक किस्मत ने पलटा खाया और वह भारत आ गए । तब बहुत छोटे थे और भारत में होने वाली सामान्य चीजों के बारे में अक्सर शिकायत करते थे, जैसे यहाँ पेप्सी क्यों नहीं मिलती ? धीरे-धीरे रित्विक ने भारत के अनुसार यहाँ की जीवनचर्या में स्वयं को ढालना शुरू कर दिया । उन्होंने पेप्सी जैसी अनेक चीजों के बिना रहना सीख लिया ।
वह अपने पिता के साथ एक शहर से दूसरे शहर घूमते रहे । 6 माह इलाहाबाद, एक वर्ष बंगलौर, एक वर्ष दिल्ली में बिताने के बाद वह चेन्नई पहुँच गए । तब तक वह 12 वर्ष के हो चुके थे और इतने समय में 8 स्कूलों में पढ़ाई के साथ ही 4 भाषाएं सीख चुके थे ।
इसके पश्चात् रित्विक के जीवन में किशोरावस्था के साथ नए बदलाव शुरू हो गए । तब तक भारत में पेप्सी भी आ गई थी और उनके स्कूली जीवन में उनकी गर्लफ्रेंड भी बन चुकी थी ।
उन्होंने स्क्वाश खेलते हुए अनेक सफलताएँ अर्जित की हैं । उनकी स्क्वाश की ट्रेनिंग व शिक्षा अमेरिका से हुई है । वह ऊटाह विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ कम्प्यूटिंग से पी.एच.डी. कर रहे हैं । वह सॉफ्टवेयर तथा हार्डवेयर के फार्मल तरीकों की पहचान पर अनुसंधान कर रहे हैं । वह अपना मुख्य निवास लंदन में बनाना चाहते हैं ताकि नील हार्वी की कोचिंग से खेल में बेहतर प्रदर्शन कर सकें ।
उन्होंने 1996-1997 में ‘सर्वश्रेष्ठ आलराउंडर खिलाड़ी’ का पुरस्कार जीता, जो उन्हें राष्ट्रपति द्वारा प्रदान किया गया । 1997 में दिल्ली खेल पत्रकार संघ द्वारा उन्हें वर्ष का ‘मोस्ट प्रामिजिंग स्पोर्ट्समैन’ का पुरस्कार दिया गया ।
1997 में रित्विक राष्ट्रीय जूनियर चैंपियन रहे । इसके पश्चात् 1998 में वह 19 वर्ष की आयु में स्क्वाश के राष्ट्रीय चैंपियन बने । वर्ष 2000, 2002 तथा 2003 में भी उन्होंने राष्ट्रीय चैंपियनशिप जीतीं ।
रित्विक ने पीएसए टूर 1998 में पहली बार भाग लिया । उनकी सर्वश्रेष्ठ रैंकिंग नवम्बर 2006 में थी जब वह विश्व रैंकिंग में 38वें नंबर पर पहुँच गए थे । एक समय उनकी रैंकिंग 51, 60 तथा 122 रही है ।
जनवरी 2005 में रित्विक ने 6000 डॉलर का आई.सी.एल. चेन्नई ओपन स्क्वाश टूर्नामेंट जीता था । इसमें उन्होंने सिद्धार्थ सूडे को हराया था ।
उपलब्धियां :
पुरुषों की स्क्वाश राष्ट्रीय चैंपियनशिप में प्रथम रैंकिंग हासिल की है |
1998, 2000, 2002 तथा 2003 में वह स्क्वाश के चैंपियन रहे हैं |
अन्तर्राष्ट्रीय पी.एस.ए. टूर में नवम्बर 2000 में उनकी रैंकिंग 122 थी |
1 अगस्त से 15 अगस्त 1998 को होने वाली दसवीं मैन्ज स्क्वाश चैंपियनशिप प्रिसंटन (यू.एस.ए.) में वह भारतीय जूनियर टीम के कप्तान थे ।
जुलाई 2000 में दसवीं एशियाई स्क्वाश चैंपियनशिप, हांगकांग में वह भारतीय स्क्वाश टीम के कप्तान थे |
1997 में आई.बी.ए. हांगकांग स्क्वाश ओपन में वह रनरअप रहे |
1998 में रित्विक मुम्बई में भारतीय ओपन में विजेता रहे |
1998 में एशियाई ग्रांड फाइनल, दिल्ली में उन्होंने विजेता बनकर मुकाबला जीता |
2000 में जयपुर में हुए ‘जयपुर ओपन’ में रित्विक विजेता रहे |
वह भारत के सर्वश्रेष्ठ स्क्वाश खिलाड़ी समझे जाते हैं और 6 पी.सी.ए. टूर में भाग ले चुके हैं |
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