
आर. के. लक्ष्मण का जीवन परिचय (RK Laxman Biography In Hindi Language)
नाम : आर.के. लक्ष्मण
जन्म : 23 अक्टूबर 1924
मृत्यु : 26 जनवरी 2015
जन्मस्थान : मैसूर
उपलब्धियां : रमन मैग्सेसे (1984) पद्मविभूषण (2005), पद्मभूषण’ (1973) |
पत्रकारिता के क्षेत्र में कार्टूनिस्ट कुछ विलक्षण ही प्रकार के जीव होते है | अपनी कुछ रेखाओं से किसी की भी छवि को समाज में तत्काल चमका सकते हैं या धूमिल कर सकते हैं । उनकी अभिव्यक्ति की मार गहरी होती है आर.के. लक्ष्मण भी इसी प्रतिभा से युक्त एक कार्टूनिस्ट हैं । राजनैतिक और सामाजिक सच्चाइयों को वह गहराई से पहचान कर आम आदमी के माध्यम से उजागर कर रहे हैं । उनके बनाए लक्षित व्यक्ति को परेशान तो कर सकते है लेकिन उन पर कभी भी दुर्भावना का आरोप नहीं लगाया गया । उन्होंने हमेशा ताजा स्थितियों पर पैने व्यंग्य चित्र बनाए । उनको पत्रकारिता, साहित्य एवं रचनात्मक कला संवाद के लिए वर्ष 1984 का मग्सेसे पुरस्कार प्रदान किया गया ।
आर. के. लक्ष्मण का जीवन परिचय (RK Laxman Biography In Hindi)
आर.के. लक्ष्मण का जन्म 23 अक्टूबर 1924 को मैसूर में हुआ था । वह एक तमिल परिवार में जन्मे थे । और अपने पिता के छह पुत्रों में सबसे छोटे थे । उनके पिता एक स्कूल में हेड मास्टर थे ।
लक्ष्मण शुरू से ही अपने स्कूल में ड्राइंग बनाने के लिए मशहूर थे । वह बहुत सी आकृतियां कहीं भी, घर की दीवारों, दरवाजों पर या इधर-उधर बनाया करते थे और उनके मास्टर उन आकृतियों को पसन्द किया करते थे । उन आकृतियों में कभी-कभी अपने टीचर्स के व्यंग्य चित्र भी होते थे । एक बार लक्ष्मण ने एक पीपल के पेड़ का चित्र बनाया था, जो बहुत पसन्द किया गया था ।
लक्ष्मण पर एक ब्रिटिश कार्टूनिस्ट सर डेविड लो का बहुत प्रभाव था । लक्षण उनकी चर्चा करते थे और काफी समय तक उनके हस्ताक्षरों के आधार पर उन्हें लो की जगह ‘काऊ’ समझते थे, जैसा कि उन्होंने अपनी आत्मकथा ‘द टनल टु टाइम’ में स्वयं लिखा ।
निरन्तर चित्र बनाते रहने का उनका स्वभाव बचपन से था । कमरे की खिड़की के बाहर देखते हुए, पेड़ों की बेडौल, झुकी टहनी, सूखे पत्ते, जमीन पर रेंगते हुए छिपकलीनुमा जीव ईंधन की लकड़ी काटते नौकर यहाँ तक कि सामने की इमारत की छत पर अलग-अलग मुद्रा में बैठे कौए, यह सब उनकी चित्रकला में जगह बनाता था ।
इसे भी पढ़ें :- अमिताभ चौधुरी का जीवन परिचय
हाई स्कूल पास करने तक आर.के. लक्ष्मण यह मन बना चुके थे कि वह कार्टून तथा कला के क्षेत्र में जाना चाहते हैं । उन्होंने जेजे स्कूल ऑफ आर्ट्स, बम्बई में प्रवेश के लिए आवेदन किया । उसके उत्तर में लक्ष्मण को स्कूल के डीन का पत्र मिला कि उनकी कला उस स्कूल के स्तर पर प्रवेश पाने भर नहीं है, इसलिए उन्हें वहाँ प्रवेश देना सम्भव नहीं हो सकेगा । इस उत्तर के बाद लक्षण ने बी.ए. के लिए मैसूर यूनिवर्सिटी में प्रवेश ले लिया । साथ-ही-साथ लक्ष्मण फ्रीलांस चित्रकार के रूप में ‘स्वराज्य’ को अपने कार्टून देते रहे । एनीमेटेड फिल्मों में भी मिथकीय पात्र नारद के रूप में उनका चित्रांकन आने लगा ।
लक्षण का शुरुआती काम ‘स्वराज्य’ तथा ‘ब्लिट्ज’ में छपा । जब वह महाराजा कॉलेज मैसूर में पड़ रहे थे तब उन्होंने अपने बड़े भाई आर.के. नारायण की कहानियों के लिए चित्र बनाए जो ‘हिन्दू’ में छपे । लक्षण ने तब तक राजनैतिक स्थितियों पर भी कार्टून बनाने शुरू कर दिए थे जो स्थानीय अखबारों तथा ‘स्वतन्त्र’ में प्रकाशित हुए । इन्होंने कन्नड़ की हास्य पत्रिका ‘कोरावांजी’ के लिए भी कार्टून बना कर दिए । मद्रास के जैमिनी स्टूडियों में भी लक्षण ने गर्मियों की छुट्टियों के दौरान काम किया ।
लक्ष्मण की पहली बाकायदा नौकरी फ्रीप्रेस जरनल में लगी, जहाँ वह राजनैतिक कार्टूनिस्ट के तौर पर लिए गए । उसके बाद लक्षण ने टाइम्स ऑफ इण्डिया में अपना काम शुरू किया, जहाँ वह पचास से ज्यादा वर्षों तक रहे ।
टाइम्स ऑफ इण्डिया में ‘यू सेड इट’ शीर्षक से एक फीचर कार्टून छपना शुरू हुआ जिसमें एक विशिष्ट छवि वाला आम आदमी है जो भारतीय जीवन पर एक तीखी और सच्ची टिप्पणी करता है । यह प्रकाशन वर्ष 1961 से शुरू
हुआ । टाइम्स ऑफ इण्डिया के अलावा इन कार्टूनों को सस्ती पेपर बैक किताबों के रूप में छापा गया । इन्हीं में से एक किताब की भूमिका में लक्ष्मण के काम की चर्चा की गई थी, वहाँ लिखा था:
‘कार्टूनिस्ट ऐसे उद्योग के लिए काम करता है, जहाँ समय की बहुत ज्यादा कीमत है । काम करके भेजने के लिए मानो सिर पर तलवार लटकती रहती है जो उसे एक के बाद एक नया, महत्त्वपूर्ण देखकर अभिव्यक्त करने को प्रेरित करती है । टमाटरों की कमी, आणविक हमले का खतरा, पंचवर्षीय योजना, सड़क पर गड्ढे, भ्रष्टाचार, मौसम की भविष्यवाणी, चाँद पर जाने का कार्यक्रम कुछ भी विषय हो सकता है ।
किसी भी विषय के लिए लक्ष्मण का ‘आम आदमी’ का खाका वही रहता है । उसकी नाक, भौहें, कान से निकलते बाल जो गंजे सिर के नीचे दिखते हैं । उसकी मूर्ख, उसका कोट, कुछ भी नहीं बदलता लेकिन हर बार, वही पात्र एक नया अंदाज, नया प्रभाव लेकर आता है लक्ष्मण के पाठकों के लिए वही आम आदमी उसकी कला की पहचान बन गया है ।
टाइम्स ऑफ इण्डिया के अलावा, लक्ष्मण ने बहुत सी किताबों के लिए चित्रांकन किया । अपने बड़े भाई आर.के. नारायण की बहुत मशहूर किताब की कहानियों में लक्ष्मण के बनाए चित्र हैं । ‘मालगुड़ी डेज’ इन चित्रों के बगैर अब अधूरी लगती है । एशियन पेन्ट्स ग्रुप का मस्कट ‘गट्टू’ लक्ष्मण की कला की उपज है । हिन्दी फिल्म मिस्टर एण्ड मिसेज एसएस में भी लक्ष्मण के कार्टूनों का प्रयोग हुआ है ।
कार्टून तथा चित्रांकन के अलावा उन्होंने कुछ उपन्यास भी लिखे हैं । इस क्रम में कुछ और पुस्तकें भी लक्ष्मण द्वारा लिखी गई हैं, जिनमें उनकी आत्म कथा ‘टनल दु टाइम’ भी शामिल है । आर.के. लक्षण के स्वभाव के बारे में और उनकी विनोद क्षमता के बारे में एक दृष्टान्त दिया जा सकता है :
एक बार एक अमेरिकन कार्टूनिस्ट रमन ल्यूरे ने उनसे पूछा, भारत का सबसे अच्छा कार्टूनिस्ट कौन है | लक्ष्मण ने उत्तर दिया, ‘मैं’ । जब उनसे पूछा गया, उसके बाद दूसरे नम्बर पर, उनका उत्तर फिर वही था ‘मैं’ इस तरह तीसरे, चौथे, पाँचवे नम्बर के कार्टूनिस्ट के बारे में पूछे जाने पर भी उनका उत्तर वही था ।
‘मैं’
इसी तरह एक सादगी उनका एक कार्टून जाहिर करता है ।
पण्डित नेहरू की एक मूर्ति है, उसके नीचे लक्षण का आम आदमी खड़ा है । उनके साथ पण्डित नेहरू खुद खड़े हैं । साथ में आम आदमी की तरफ से पण्डित नेहरू को यह बताया जा रहा है ”…मैं नहीं जानता यह आदमी कौन है…लेकिन मैं हर बार इसी को वोट देता हूँ…”
आर.के. लक्ष्मण को बहुत से पुरस्कारों तथा सम्मानों से अलंकृत किया गया । भारत सरकार की ओर से उन्हें पद्मभूषण तथा पद्मविभूषण सम्मान दिया गया । हिन्दुस्तान टाइम्स ने उन्हें दुर्गा रतन स्वर्ण पदक प्रदान किया । इण्डियन एक्सप्रेस ने उन्हें बी.डी. गोयनका अवार्ड दिया ।
इसे भी पढ़ें :- ईला रमेश भट्ट का जीवन परिचय
आर.के. लक्ष्मण बम्बई और पूना दोनों शहरों के निवासी हैं और अपनी पत्नी कमला लक्षण के साथ रह रहे हैं । आर.के. कार्टूनिस्ट हैं, तो कमला एक लेखिका हैं ।
Tags : RK Laxman Information In Hindi, R K Laxman Biography Pdf, RK Laxman History, RK Laxman Essay, Short Biography Of RK Laxman, RK Laxman Is A Renowned, RK Laxman Awards.