आदर्श छात्र पर निबंध Short Essay On Ideal Student In Hindi Language
विद्यालय, महाविद्यालय एंव विश्वविद्यालय में शिक्षा प्राप्त करने वाले व्यक्ति को छात्र कहा जाता है | अध्ययन काल को छात्र जीवन का स्वर्णिम काल कहा जाता है | इसी काल पर उसका भविष्य निर्भर करता है | यदि इस दौरान छात्र ठीक से पढ़ाई पर ध्यान न दें, तो उनका भविष्य अंधकारमय हो सकता है | इसलिए जो छात्र अपने छात्र जीवन के समय का सदुपयोग भली-भांति करते हुए अपने भविष्य को संवारने में निरंतर प्रयत्नशील रहते हैं, उन्हें ही ‘आदर्श छात्र’ की संज्ञा दी जाती है |
छात्र का उद्देश्य शिक्षा प्राप्त करना होता है | शिक्षा जीवनभर चलने वाली एक प्रक्रिया है | इसके द्वारा एक व्यक्ति आत्म-निर्भर बनता है, एंव उसके चरित्र का निर्माण होता है | एक आदर्श छात्र वही होता है, जो शिक्षा के इन उद्देश्यों पर पूर्णत: खरा उतरता है | प्राचीन काल में शिक्षा के उद्देश्य चरित्र-निर्माण, व्यक्तित्व विकास, संस्कृति का संरक्षण, समाजिक कर्त्तव्यों का विकास इत्यादि थे | वर्तमान में भी शिक्षा के इन उद्देश्यों में परिवर्तन नहीं हुआ है, किन्तु इनके अतिरिक्त भी शिक्षा के कई उद्देश्य वर्तमान संदर्भ में आवश्यक हैं | वर्तमान में शिक्षा का उद्देश्य देश का सामाजिक एवं राष्ट्रीय एकीकरण करना भी है | शिक्षा का उद्देश्य छात्रों में सामाजिक, नैतिक एवं आध्यात्मिक मूल्यों का विकास करना भी होता है | एक आदर्श छात्र वही होता है, जो शिक्षा के इन उद्देश्यों पर पूर्णत: खरा उतरता है |
इस तरह एक आदर्श छात्र ईमानदार होता है | वह अपनी पढ़ाई पर पूरा-पूरा ध्यान देता है, अपने साथियों के साथ मिलकर रहता है एंव आवश्यकता पड़ने पर उनका सहयोग करता है | वह अपने माता-पिता एंव शिक्षकों का सम्मान करता है एंव उनकी सेवा करने के लिए भी तत्पर रहता है | उसकी दिनचर्या प्रातः जल्दी शुरू हो जाती है | सुबह तड़के ही नित्य-क्रिया से निवृत्त होकर वह हाथ-मुंह धोता है एवं उसके बाद कुछ समय तक शारीरिक व्यायाम एंव योग करता है | इसके बाद वह स्नान कर अपनी पढ़ाई शुरु कर देता है | नम्रता, अनुशासन, ईमानदारी, बड़ों के प्रति श्रद्धा और सम्मान, परिश्रम, समय का सदुपयोग इत्यादि एक आदर्श छात्र के गुण हैं | आदर्श छात्र अपने माता-पिता और गुरुजनों का स्नेहभाजन होता है | वह समाज में भी सबका स्नेह प्राप्त करता है |
आदर्श छात्र अपने मानसिक व शारीरिक स्वास्थ्य के लिए व्यायाम, खेलकूद एवं योग को भी अपने जीवन में स्थान देता है | खेल के समय हमेशा खेल-भावना का परिचय देते हुए, अपने साथियों को प्रोत्साहित करता रहता है | खेल के द्वारा वह अपनी एंव अपने साथियों की नेतृत्व क्षमता का विकास करता है तथा शिष्टाचार एंव अनुशासन का पाठ सीखता एंव सिखाता है | जो छात्र अपने प्रत्येक कार्य नियम एंव अनुशासन का पालन करते हुए संपन्न करते हैं, वे अपने अन्य साथियों से न केवल श्रेष्ठ माने जाते हैं बल्कि सभी के प्रिय भी बन जाते हैं | शिष्टाचार एंव अनुशासन के इन्हीं महत्त्वों को समझते हुए एक आदर्श छात्र शिष्ट होता है एंव अनुशासन का पालन करता है |
आदर्श छात्र अपने कर्तव्यों का पालन सही ढंग से करता है | वह पढ़ाई के अतिरिक्त खेल-कूद को भी समय देता है | वह विद्यालय में आयोजित प्रतियोगिताओं, जैसे वाद-विवाद प्रतियोगिता, भाषण प्रतियोगिता, कविता-पाठ इत्यादि में पूरे उत्साह से भाग लेता है | विद्यालय में आयोजित होने वाले विभिन्न आयोजनों में वह स्वयंसेवक की भूमिका भी निभाता है | वह विद्यालय को अपना परिवार और विद्यालय में पढ़ने वाले अन्य छात्रों को अपना मित्र समझता है | वह अपने से छोटी कक्षा के छात्रों को स्नेह देता है एंव अपने से बड़ी कक्षाओं के छात्रों का सम्मान करता है | आवश्यकता पड़ने पर वह अपने वरिष्ठ छात्रों से सहयोग प्राप्त करने में संकोच नहीं करता है |
आदर्श छात्र की भाषा संयमपूर्ण एंव शिष्ट होती है | वह अशिष्ट भाषा का प्रयोग नहीं करता | वह हमेशा शिष्टाचार का ही पालन करता है | वह भूल कर भी अपने साथियों से नहीं झगड़ता |
विद्यार्थी को छात्र जीवन में सुख की प्राप्ति मुश्किल होती है | उसे दिन-रात परिश्रम करते हुए अपनी पढ़ाई पूरी करनी होती है | इसलिए संस्कृत में कहा गया है- “सुखार्थिन: कुतो विद्या, विद्यार्थिन: कुतो सुखम”, अर्थात “सुख चाहने वालों को विद्या की प्राप्ति एंव विद्या के अभिलाषी को सुख की प्राप्ति नहीं हो सकती |” सुबह उठकर पढ़ाई करना, दिन भर विद्यालय में पढ़ाई करना, उसके बाद रात को सोने से पहले पढ़ाई करना, पढ़ाई की इन समयावधियों के बीच शारीरिक एंव मानसिक स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से खेल-कूद एवं व्यायाम को भी दिनचर्या में शामिल करना, यह किसी भी व्यक्ति के लिए कष्टदायी हो सकता है | किन्तु जीवन में सफलता के दृष्टिकोण से यह अनिवार्य है | कुछ खोए बिना, कुछ पाना भी तो मुश्किल है | यदि सुख की कीमत पर विद्या की प्राप्ति होती है, तो क्या कम है ! क्योंकि विद्या तो अनमोल है | इस विद्या के परिणामस्वरुप व्यक्ति का भविष्य सुखमय हो जाता है एंव छात्र जीवन के कष्ट की भरपाई हो जाती है |
आदर्श छात्र अपने देश की एकता एंव अखंडता के महत्व को समझता है | वह सभी धर्मों का समान भाव से सम्मान करता है एंव किसी व्यक्ति में जाति, धर्म, लिंग इत्यादि के आधार पर भेदभाव नहीं करता | आदर्श छात्र चूंकि अनुशासित जीवन व्यतीत करता है एंव शिष्टाचार का पालन करता है, इसलिए उसमें नेतृत्व की भावना का विकास स्वाभाविक रुप से हो जाता है |
नि:संदेह छात्र ही देश के भविष्य हैं | आदर्श छात्रों से ही देश के अच्छे भविष्य की आशा की जा सकती है | वे ही देश को सही नेतृत्व प्रदान कर सकते हैं, क्योंकि छात्र जीवन के दौरान शिष्टाचार, अनुशासन एवं ईमानदारी के गुण उनमें इस तरह कूट-कूट कर भरे जाते हैं | आदर्श छात्र ही भविष्य में देश की एकता एंव अखंडता को कायम रखकर, इसे बढ़ाने में सहयोगी हो सकते हैं | इस तरह आदर्श छात्र देश के भविष्य एंव समाज के लिए गौरव होते हैं |