कपिल देव पर निबंध Short Essay On Kapil Dev In Hindi

Short Essay On Kapil Dev In Hindi

कपिल देव पर निबंध Short Essay On Kapil Dev In Hindi Language

Short Essay On Kapil Dev In Hindi

भारत… जहां क्रिकेट के प्रति लोगों का जुनून देखकर कहा जाता है कि यह कोई खेल नहीं रहा बल्कि एक ऐसा मजहब हो गया है जिसमें खिलाड़ी खुदा बन चुके हैं, वहां कपिल देव का नाम किसी परिचय का मोहताज नहीं है | कपिल विश्व के महानतम आलराउंडर क्रिकेटरों में गिने जाते हैं | क्रिकेट के विश्व कप की चर्चा इनकी चर्चा के बिना पूरी नहीं हो सकती | इन्हीं के नेतृत्व में भारत ने वर्ष 1983 में प्रथम बार क्रिकेट का विश्व-कप जीतने का अभूतपूर्व गौरव प्राप्त किया था |

कपिल देव, जिनका पूरा नाम कपिल देव निखंज है, का जन्म 6 जनवरी 1959 को चंडीगढ़ में हुआ था | इनके पिता रामलाल निखंज लकड़ी व्यापारी थे | 13 वर्ष की छोटी आयु में ही कपिल ने क्रिकेट खेलना शुरु कर दिया था | इस खेल के प्रति दीवानगी के कारण ही ये पढ़ाई में  मन नहीं लगा सके और इसी में कैरियर बनाने में खुद को केंद्रित कर लिया | 1975 ई. में जब कपिल ने हरियाणा टीम के सदस्य के रूप में प्रथम श्रेणी क्रिकेट में कदम रखा, तब इनकी आयु मात्र 16 वर्ष थी | 3 साल बाद 19 वर्ष की आयु में इन्होंने अन्तर्राष्ट्रीय खेल में पदार्पण किया | 1 अक्टूबर 1978 को पाकिस्तान के खिलाफ कपिल ने अपने जीवन का पहला अन्तर्राष्ट्रीय एक दिवसीय मैच और उसी महीने की 16 तारीख को पाकिस्तान के ही खिलाफ अपना पहला अन्तर्राष्ट्रीय टेस्ट मैच खेला | थोड़े समय के बाद ही कपिल देव ‘हरियाणा हरिकेन’ के रूप में मशहूर हो गए |

अन्तर्राष्ट्रीय मैचों में पदार्पण के बाद कपिल देव दाहिने हाथ के मध्यम गति के गेंदबाज के रूप में उभरे और उन्होंने अपनी आउटस्विंग गेंदबाजी और शानदार एक्शन के कारण भारतीय टीम में अपने कैरियर के ज्यादातर समय में स्ट्राइक गेंदबाज की भूमिका निभाई | जहां तक बल्लेबाजी का सवाल है कपिल दाएं हाथ के बल्लेबाज रहे हैं | उन्होंने अपने आलराउंडर होने का सबूत उस वक्त दिया जब उन्होंने नेशनल स्टेडियम कराची में पाकिस्तान के खिलाफ तीसरे टेस्ट मैच में सिर्फ 33 गेंदों में 2 छक्कों की मदद से भारत का सबसे तेज अर्द्धशतक जड़ दिया | कपिल देव 21 वर्ष और 27 दिन की आयु में 1000 रन और 100 टेस्ट विकेट लेने वाले दुनिया के सबसे युवा खिलाड़ी बने | बाद में 2000 रन और 200 विकेट का डबल भी सबसे कम उम्र में बनाने का रिकॉर्ड इन्होंने अपने नाम किया | 1983 वर्ल्ड कप के सेमीफाइनल में 175 रनों की उनकी पारी यादगार पारियों में से एक है | 1990 में इंग्लैंड के खिलाफ लार्ड्स में भारत को फालोआन से बचाने के लिए 24 रनों की जरूरत थी | कपिल देव के साथ नरेंद्र हिरवानी पिच पर मौजूद थे | एडी हेमिंग्स के ओवर की चार गेंदें शेष थीं | कपिल देव ने बाकी बची चरों गेंदों पर लगातार चार छक्के मारकर भारतीय टीम को फालोआन से बचा लिया |

कपिल देव ने अपने पूरे कैरियर के 131 टेस्ट मैचों में 31.05 की औसत से 5248 रन बनाए जिसमें 8 शतक और 27 अर्द्धशतक शामिल हैं | इन मैचों में उनका उच्चतम स्कोर 163 रन था | इन्हीं 131 टेस्ट मैचों में वे 4623.2 ओवर की गेंदबाजी कर 434 विकेट लेने में सफल भी रहे | इनमें 83 रन देकर 9 विकेट लेना उनका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन था | जहां तक उनके एकदिवसीय मैचों में प्रदर्शन का सवाल है, कपिल देव ने कुल 225 एकदिवसीय मैचों में भाग लिया | इनमें उन्होंने 23.79 की औसत से कुल 3783 रन बनाए, जिसमें 1 शतक और 14 अर्द्धशतक शामिल हैं | उनका उच्चतम स्कोर 175 था | इन्हीं एकदिवसीय मैचों में उन्होंने 1867 ओवरों की गेंदबाजी कर 253 विकेट भी लिए, जिसमें उनका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन 43 रन देकर 5 विकेट लेना रहा |

कपिल देव ने भारतीय टीम की कमान 1982 में उस समय संभाली थी, जब क्रिकेट खेलने वाले वेस्टइंडीज और इंग्लैंड जैसे देशों के सामने भारतीय टीम आज के बंगलादेश और केन्या जैसी कमजोर टीमों के समान थी | किन्तु उनकी कप्तानी में 1983 में विश्व कप जीतने के बाद भारतीय टीम का लोहा सारी दुनिया मानने लगी | कपिल देव ने अपने आलराउंडर प्रदर्शन से न केवल सबका दिल जीता, बल्कि भारतवासियों को यह यकीन दिलाने में भी वे कामयाब रहे कि भारतीय टीम क्रिकेट की शहंशाह है | विश्व कप के फाइनल में भारतीय टीम ने दो बार विजेता रह चुके वेस्टइंडीज को मात दी थी | वर्ष 1986 में कपिल देव की कप्तानी में ही भारत ने लार्ड्स में पहला टेस्ट मैच जीता था | कपिल देव ने 1993 में टेस्ट क्रिकेट में सर रिचर्ड हेडली का रिकॉर्ड तोड़कर सर्वाधिक विकेट लेने का रिकॉर्ड बनाया और उसी वर्ष उन्होंने अन्तर्राष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास भी ले लिया | क्रिकेट से संन्यास लेने के बाद भी वे किसी न किसी रूप में इस खेल से जुड़े रहे और 1999 ई. में उन्होंने भारतीय टीम के कोच का पद संभाला | 2002 तक वे टीम से इस रूप में जुड़े रहे | बाद में कपिल ने बी.सी.सी.आई. से अलग इंडियन क्रिकेट लीग की स्थापना भी की, जिसमें उन्हें उन खिलाड़ियों को खेलने का मौका दिया जो अपने देश की अंतर्राष्ट्रीय टीम में ज्यादा समय तक नहीं खेल पाए |

उनकी उपलब्धियों को देखते हुए भारत सरकार ने 1979-80 ई. में ‘अर्जुन पुरस्कार’ देकर सम्मानित किया | 1982 ई. में उन्हें ‘पदमश्री’ से अलंकृत किया गया | अन्तर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद द्वारा वे 1983 ई. में ‘क्रिकेटर ऑफ द ईयर’ चुने गए | 1991 ई. में भारत सरकार ने फिर उन्हें ‘पदमविभूषण’ से सम्मानित किया | क्रिकेट की बाइबिल माने जाने वाली इंग्लैंड की पत्रिका ‘विज्डन’ ने 2002 ई. में कपिल देव को बीसवीं सदी के सर्वश्रेष्ठ भारतीय क्रिकेटर के रूप में पुरस्कृत किया | 24 सितंबर 2008 ई. को उन्हें भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट कर्नल का दर्जा दिया गया |

1983 में लॉर्ड्स के मैदान में हासिल विश्व कप की ऐतिहासिक जीत की सिल्वर जुबली मनाने के लिए 2008 ई. में तत्कालीन पूरी भारतीय क्रिकेट टीम लंदन गई थी और कहना न होगा कि कपिल देव ने फिर उनकी अगुवाई की | अन्तर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद ने हाल ही में अपनी पहली हॉल ऑफ फेम सूची निकाली है, जिसमें ‘कपिल देव’ का भी नाम शामिल है | निसंदेह कपिल देव भारतीय खिलाड़ियों के प्रेरणा-स्रोत हैं, और आगे भी रहेंगे |

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