
पी.सी. महालनोबिस पर निबंध Short Essay On PC Mahalanobis In Hindi Language
पी.सी. महालनोबिस एक ऐसे महान वैज्ञानिक एंव व्यवहारिक सांख्यिकीविद थे, जिनकी भारत के आर्थिक नियोजन में अग्रणी एवं महत्त्वपूर्ण भूमिका रही है | किसी भी देश की प्रगति के लिए उसकी राष्ट्रीय आय का अनुमान आवश्यक है | स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भारत में इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए 1949 ई. में महालनोबिस की अध्यक्षता में ही एक ‘राष्ट्रीय आय समिति’ का गठन किया गया था | जब आर्थिक विकास को गति देने के लिए योजना आयोग का गठन किया गया, तो उन्हें इसका सदस्य बनाया गया | भारत की दूसरी पंचवर्षीय योजना पी.सी महालनोबिस मॉडल पर ही आधारित थी | उन्हें सांख्यिकी माप में महालनोबिस दूरी के लिए याद किया जाता है | उन्होंने भारत में मानवमिति में अध्ययन को बढ़ावा देने में अग्रणी भूमिका निभाई | उन्होंने भारतीय सांख्यिकी संस्थान की स्थापना की एवं वृहद पैमाने पर प्रतिदर्श सर्वेक्षण की परिकल्पना में अपना योगदान दिया |
महालनोबिस, जिनका पूरा नाम प्रशांत चंद्र महालनोबिस है, का जून 29 जून 1893 को कोलकाता (कलकत्ता) में हुआ था उनके दादा गुरुचरण ब्राह्म समाज के अध्यक्ष एंव खजांची के रुप में समाज सुधार आंदोलनों में सक्रिय योगदान दिया करते थे | महालनोबिस के पिता का नाम सुबोधचंद्र था | वे एक विख्यात शिक्षाविद थे, जिन्होंने इंग्लैंड के एडिनबर्ग यूनिवर्सिटी से फिजियोलॉजी की पढ़ाई के बाद प्रेसिडेंसी कॉलेज के फिजियोलाजी डिपार्टमेंट में प्रोफेसर के रूप में कार्य किया |
महालनोबिस ने ब्रह्म ब्वायज स्कूल में प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त करने के बाद आगे की पढ़ाई के लिए कलकत्ता के प्रेसीडेंसी कालेज में दाखिला लिया | वहां से उन्होंने 1912 ई. में भौतिकी में प्रतिष्ठा के साथ बी.एस-सी. की उपाधि प्राप्त की | उसके बाद वे कैंब्रिज यूनिवर्सिटी में पढ़ने के लिए इंग्लैंड चले गए | कैम्ब्रिज के किंग्स कॉलेज से उन्होंने आगे की पढ़ाई की | इस दौरान उनकी वार्ता महान गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन से भी हुई | कैम्ब्रिज से भौतिकी में ट्राइपोज पूरा करने के बाद, महालनोबिस ने कैवेंडिश लेबोरेटरी में सी.टीआर. विल्सन के साथ कार्य किया | उसके बाद वे थोड़े समय के लिए स्वदेश आ गए | यहां उन्हें प्रेसीडेंसी कालेज के प्राचार्य से मिलाया गया | जिन्होंने उन्हें वहां भौतिकी की कक्षा लेने के लिए आमंत्रित किया | 27 फरवरी 1923 को महालनोबिस का विवाह निर्मल कुमारी से हुआ |
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जब वे पुनः इंग्लैंड लौटे तो इस बार उन्होंने वहां ‘बायोमेट्रिका’ नामक पत्रिका देखी | यह उन्हें इतनी अच्छी लगी कि इसका पूरा सेट ही उन्होंने खरीद लिया और इसे भारत ले गए | इसके बाद उन्होंने मौसम-विज्ञान एवं मानवमिति की कुछ समस्याओं के समाधान के लिए सांख्यिकी की उपयोगिता की खोज की और भारत में अपनी वापसी पर इस क्षेत्र में कार्य प्रारंभ कर दिया | ‘बायोमेट्रिका’ पत्रिका से प्रेरित एवं बैजेंद्रनाथ सिल से मार्गदर्शन प्राप्त कर उन्होंने सांख्यिकी कार्य शुरु कर दिया, प्रारंभ में उन्होंने यूनिवर्सिटी परीक्षा परिणामों, कलकत्ता के एंग्लो-इंडियन पर मानमिति माप एंव कुछ मौसम-विज्ञान संबंधी समस्याओं का विश्लेषण किया | 1924 ई. में जब वे कृषि प्रयोगों की प्रायिकता त्रुटी पर कार्य कर रहे थे, वे रोनाल्ड फिशर नामक विश्व-विख्यात सांख्यिकीविद से मिले, जिसके साथ उन्होंने जीवनपर्यन्त कार्य किया | उनका सर्वाधिक महत्वपूर्ण योगदान बड़े पैमाने पर प्रतिदर्श सर्वेक्षण से संबंधित है | उन्होंने पायलट सर्वेक्षण अवधारणा की शुरूआत की एंव निदर्शन विधियों की उपयोगिता की संस्तुति की | उनका प्रारंभिक सर्वेक्षण 1937 ई. से 1944 ई. के बीच प्रारंभ हुआ | इसमें उन्होंने उपभोक्ता खर्च, चाय पीने की आदत, जनता के विचार एंव पौधा-रोग जैसे विषयों को लेकर सर्वेक्षण किए | महान सांख्यिकीविद हेराल्ड होटलिंग ने उनके विश्लेषणों की प्रशंसा करते हुए कहा था कि महालनोबिस की विधियों से निकाले गए परिणामों की तुलना किसी और विधि से निकाले गए परिणामों से नहीं की जा सकती, क्योंकि यह अधिक विश्वसनीय होते हैं | उन्होंने फसलों के उत्पादन से संबंधित सांख्यिकी अनुमान की एक विधि का आविष्कार किया था |
1920 में भारतीय विज्ञान कांग्रेस के एक सत्र में जूलोजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के निदेशक नेल्सन एन्ननडेल से उनकी संयोगवश मुलाकात ने उनमें मानवमिति की समस्या के अध्ययन में रुचि जगाई | एन्ननडेल ने उन्हें कोलकाता में एंग्लो-इण्डियनों के मनावमिति मापों को विश्लेषित करने को कहा | और, इस तरह 1922 ई. में सांख्यिकी से संबंधित उनका प्रथम वैज्ञानिक शोध-पत्र तैयार हुआ | इस अध्ययन के दौरान उन्होंने बहुचर दूरी माप का प्रयोग कर जनसंख्या के समूहीकरण एंव तुलना के एक तरीके का पता लगाया | यह माप, जिसे अब महालनोबिस के नाम पर ‘महालनोबिस दूरी’ कहा जाता है, मापक पैमानों से स्वतंत्र होता है |
महालनोबिस के कई साथियों की सांख्यिकी में रुचि थी, इसीलिए प्रेसीडेंसी कॉलेज के अपने कमरे में उन्होंने सांख्यिकी प्रयोगशाला की स्थापना की | 17 दिसंबर 1937 को उन्होंने गणित एंव अर्थशास्त्र के प्रोफेसरों की एक बैठक बुलाई, जिसमें भारतीय सांख्यिकी संस्थान की स्थापना की बात की गई | इसके बाद 28 अप्रैल, 1932 को 1860 के सोसाइटी रजिस्ट्रेशन एक्ट 21 के अंतर्गत एक गैर-लाभप्रद सोसाइटी के रूप में इसे पंजीकृत किया गया | शुरुआत में यह संस्था प्रेसीडेंसी कॉलेज के भौतिकी विभाग में थी | धीरे-धीरे इस संस्था ने सांख्यिकी के क्षेत्र में काफी अच्छे कार्य किए | संस्था को बाद में प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के सचिव पिताम्बर पन्त का भी बहुत सहयोग मिला | पन्त ने इस संस्थान में सांख्यिकी की शिक्षा प्राप्त की थी और इस संस्थान से उन्हें गहरा लगाव था | 1938 ई. में इस संस्थान में एक प्रशिक्षण खंड प्रारंभ किया गया | 1959 ई. में इस संस्थान के राष्ट्रीय महासचिव महत्व को घोषित कर इसे डीम्ड विश्वविद्यालय का दर्जा दिया गया |
भारत के आर्थिक नियोजन में महालनोबिस का योगदान महत्वपूर्ण है | वे योजना आयोग के एक सदस्य थे | भारत की दूसरी पंचवर्षीय योजना उन्हीं के मॉडल पर आधारित थी | इस योजना का मूलभूत उद्देश्य देश में औद्योगीकरण की प्रक्रिया प्रारंभ करना था, जिससे भारतीय अर्थव्यवस्था का सुदृढ आधार पर सर्वांगीण विकास किया जा सके | स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद 1949 ई. में पी.सी महालनोबिस की अध्यक्षता में ही एक राष्ट्रीय आय समिति का गठन किया गया था | इस समिति का उद्देश्य भारत की राष्ट्रीय आय के सम्बन्ध में अनुमान लगाना था | इसने अपनी प्रथम रिपोर्ट 1951 ई. में एंव दूसरी रिपोर्ट 1954 ई. में प्रस्तुत की | इसके बाद महालनोबिस की सलाह पर ही राष्ट्रीय आय के आंकड़ों का संकलन करने के लिए सरकार ने ‘केंद्रीय सांख्यिकीय संगठन’ (सीएसओ) की स्थापना की थी |
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उनकी मृत्यु 28 जून 1972 को हुई | उनकी उपलब्धियों के लिए उन्हें कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया | भारत सरकार ने 1968 ई. में ‘पदम विभूषण’ से अलंकृत किया | ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी ने उन्हें 1944 में ‘वेल्डम’ मेडल प्रदान किया | 1945 में वे रायल सोसाइटी, लंदन के ‘फैलो’ बने | 1951 में वे यू.एस.ए. की इकोनॉमिक सोसाइटी के फैलो बने | भारत सरकार ने 2006 में उनके जन्मदिन 29 जून को राष्ट्रीय सांख्यिकी दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया | आर्थिक नियोजन सांख्यिकी के क्षेत्र में अपने अभूतपूर्व योगदान के लिए पी.सी महालनोबिस को सदा याद किया जाएगा |