
शीत ऋतु पर निबंध Short Essay On Winter Season In Hindi Language
शीत ऋतु भारत की छ: ऋतुओं में से एक है | अन्य पांच ऋतुएँ हैं- वसन्त, वर्षा, शरद, ग्रीष्म एवं हेमन्त | शीत ऋतु का आगमन शरद ऋतु के बाद होता है तथा इसका काल ग्रेगेरियन कैलेंडर के अनुसार नवंबर से फरवरी तक एंव हिन्दू कैलेंडर के अनुसार कार्तिक से माघ मास तक होता है | दिसंबर एंव जनवरी अर्थात हिन्दू कैलेंडर के अनुसार अग्रहायण एवं पौष मासों में शीत ऋतु अपने चरम पर होती है |
शीत ऋतु का आगमन कैसे होता है, इसकी भी एक वजह है | दरअसल, सूर्य के चारों ओर परिक्रमा करते हुए पृथ्वी का अक्ष दीर्घवृत्त के तल से साढ़े छियासठ डिग्री झुका होता है और पृथ्वी इस तल पर लंबवत रेखा से साढ़े तेईस डिग्री झुकी होती है | इस झुकाव की वजह से ही सूर्य की किरणें पृथ्वी पर पूरे वर्ष एक समान रुप से नहीं पड़ती हैं और मौसम में परिवर्तन होता रहता है | पृथ्वी जब सूर्य से दूर रहती है तब शीत ऋतु होती है | इस ऋतु में वातावरण का तापमान प्रायः निम्न रहता है | इस ऋतु को भारतीय साहित्य में हेमन्त एंव शिशिर दो भागों में विभाजित किया गया है | हेमन्त ऋतु में ठंड कम होती है जबकि शिशिर ऋतु में ठंड अत्यधिक होती है |
विश्व के सभी देशो में शीत ऋतु के समय में थोड़ा अंतर होता है | भारत में नवंबर में शुरु हुई ठंड दिसंबर आते-आते भीषण ठंड में बदल जाती हैं | शीत ऋतु में दिन छोटे एंव रातें लंबी होती है | सूर्य की जो गर्मी पहले फूटी आंख नहीं सुहाती थी, वही अब अच्छी लगने लगती है | लोग धूप निकलते ही उसका आनंद लेने के लिए व्याकुल नजर आते हैं | ठंड के कारण लोग घर से बाहर निकलने से बचते हैं | सर्दियों में लोगों को हीटर या आग का सहारा लेते देखा जाता है | सर्दियों में आग सेंकते लोगों का दिखना आम है |
गरीबों के लिए शीत ऋतु अत्यंत कष्टदायी होती है | उनके प्रायः गर्म कपड़ों का अभाव होता है | कंबल, स्वेटर, रजाई आदि खरीदने के लिए उनके पास पैसे नहीं होते, ऐसे में आस-पास यदि आग मिल जाए तो उन्हें थोड़ी राहत मिलती है | अन्यथा वे ठिठुरते हुए जाड़े को कोसते नजर आते हैं | अमीरों के लिए शीत ऋतु अत्यंत सुखद होती है | उनके गर्म कपड़ों का मुकाबला करने की ताकत ठंड में भी नहीं होती, अपनी इस जीत पर वे रंगीन जैकेट, कोट या स्वेटर पहने इतराते रहते हैं | जिनके पास जाड़े से मुकाबला करने वाले कपड़े नहीं होते उनके लिए जाड़े की रात अत्यंत कष्टदायक होती है, क्योंकि इस समय रात का तापमान बहुत कम होता है | शीत ऋतु में तापमान कम होने की स्थिति में गरीबों के लिए के लिए अलाव एंव बेघरों के लिए आश्रय की व्यवस्था सरकार को करनी पड़ती है |
शीत ऋतु में पाचन-शक्ति प्रबल रहती है | इसलिए इस काल को स्वास्थ्यवर्धक काल कहा गया है | स्वास्थ्यवर्द्धक समय होते हुए भी इस काल में अत्यंत सावधानी की आवश्यकता होती है | यदि सावधानियां न बरती जाए, तो इस समय ठंड लगने का भी खतरा बना रहता है | ठंड के मौसम में अच्छे स्वास्थ्य के लिए खान-पान का भी विशेष ख्याल रखना पड़ता है | तापमान कम होने के कारण इस मौसम में शरीर की त्वचा रूखी हो जाती है, इसलिए अच्छे स्वास्थ्य के लिए त्वचा की देखभाल की भी आवश्यकता होती है | आयुर्वेद में तेल मालिश के उपरान्त गुनगुने पानी से स्नान शीत ऋतु के लिए उत्तम माना जाता है |
ऋतुएँ अलग-अलग अवश्य होती हैं, किन्तु एक की समाप्ति पर ही दूसरी का आगमन निर्भर करता है | शरद ऋतु के बाद शीत ऋतु हमें इसी बात की शिक्षा देती है | हम शीत ऋतु की ठंडक से जिस प्रकार बचने के लिए पहले ही गर्म कपड़ों की व्यवस्था कर लेते हैं, उसी प्रकार जीवन के बुरे दिनों के लिए हमें पहले से ही कुछ धन बचा कर रखना चाहिए | प्रत्येक मौसम का अपना एक महत्व होता है | शीत ऋतु का भी विशेष महत्व होता है | शीत ऋतु के प्रारंभ में कम तापमान गेहूं जैसी फसलों के लिए आवश्यक है | ठंड में हरी सब्जियों की भी भरमार होती है | धनिया, मेथी, पालक, गाजर, मटर, बैगन, गोभी, मूली, इत्यादि का आनन्द हम इसी मौसम में ले पाते हैं |
शीत ऋतु में ठंडे प्रदेशों में बर्फबारी के दृश्य मनमोहक होते हैं | इसे देखने के लिए लोग पर्वतीय एंव ठंडे स्थलों पर जाते हैं | विदेशों में स्विट्जरलैंड तथा भारत में कश्मीर, शिमला एंव मसूरी ऐसे ही मनोहारी स्थल हैं | इन स्थानों पर जाड़ों में प्रकृति का अप्रतिम सौन्दर्य देखते ही बनता है | गेंदा, गुलदाउदी, सूरजमूखी, ग्लेडियोलस, गुलाब एवं डहेलिया के फूलों की खूबसूरत छटा का आनन्द शीत ऋतु में ही लिया जा सकता है |
शीत ऋतु हमें जीवन के संघर्षों का सामना करने की प्रेरणा देती है | इससे पहले शरद ऋतु में हमारा जीवन सामान्य रहता है, किन्तु शीत काल में हमारा संघर्ष बढ़ जाता है | जिस तरह शीत ऋतु के बाद ही हमें वसन्त का आनन्द मिल पाता है, ठीक उसी तरह जीवन के संघर्ष के बाद हमें सफलता का आनंद मिलता है | यदि शीत ऋतु न हो तो वसन्त का क्या आनन्द… प्रायः मकर संक्रांति (14 जनवरी) के बाद शीत ऋतु का अवसान होने लगता है एंव फरवरी आते-आते वसन्त ऋतु का शुभागमन हो जाता है | इस तरह शीत ऋतु जाने से पहले हमें वसन्त के रूप में प्रकृति का अनोखा उपहार देकर जाती है |