Sprouting Broccoli Ki Kheti Kaise Kare – स्प्राउटिंग ब्रोकली की खेती

Sprouting Broccoli Ki Kheti Kaise Kare

Sprouting Broccoli Ki Kheti Kaise Kare – स्प्राउटिंग ब्रोकली की उन्नत खेती कैसे करें

ब्रोकली भी एक गोभी वर्गीय पौष्टिक एवं विशेष सब्जियों में से है । इस सब्जी के पौष्टिक मूल्य का आंकलन किया जाये तो प्रथम स्थान प्राप्त होगा । इसके सेवन से हृदय रोग भी नियन्त्रित होते हैं । ब्रोकली के अन्तर्गत एक मुख्य फूल या शीर्ष (Main Head) होता है लेकिन ऊपर की पत्तियों के साथ अन्य फूल (Head) भी बनते हैं जिसको स्प्राउटिंग-ब्रोकली (Sprouting Broccoli) कहते हैं । इसमें वृद्धि फूल गोभी की तरह ही होती है । अन्तर केवल मुख्यत: यह होता है कि ब्रोकली का हेड या फूल हरे रंग (Green Colour) का होता है । जबकि फूल गोभी में सफेद फूल (White Head) होता है । यह फसल शरद ऋतु में बोई जाती है । हेड के फूल (Bud) मोटी नहीं होनी चाहिए । यह सब्जी छोटी वड्स की उत्तम होती है । मुख्य शीर्ष (Main Head) को सर्वप्रथम काटा जाता है । तत्पश्चात् उप-शीर्ष (Sub Head) शीघ्र वृद्धि करते हैं जो मुख्य शीर्ष की अपेक्षा छोटे होते हैं । इन शीर्षों के डंठल लम्बे तथा मुलायम होते हैं जो तोड़ने में आसानी से टूट जाते हैं ।

Sprouting Broccoli Ki Kheti Kaise Kare

इस प्रकार से स्प्राउटिंग-ब्रोकली से पत्तियों के डंठल व तने से छोटी कलियां (Buds) बनती रहती हैं जो वृद्धि करके बड़े शीर्ष के रूप में वृद्धि करती है । कुछ ब्रोकली के शीर्ष हरे-जामुनी (Green Purple) रंग के होते हैं । इस तरह से कई बार ब्रोकली को समय-समय पर काटा जाता है जो अगेती बाजार में 100-150 रुपये प्रति किलो मिलती है तथा आमतौर पर 50-60 रुपये प्रति किलो मिलती रहती है । इस सब्जी में पोषक तत्वों की भी अधिक मात्रा होती है ।

स्प्राउटिंग ब्रोकली की खेती के लिए आवश्यक भूमि व जलवायु (Soil and Climate for Sprouting Broccoli Kheti)

इस सब्जी के लिए कोई विशेष भूमि की आवश्यकता नहीं होती बल्कि यह सभी प्रकार की भूमि में पैदा की जाती है । लेकिन सर्वोत्तम भूमि दोमट या हल्की बलोई दोमट रहती है जिसका पी.एच. मान 60-75 के बीच का हो । जीवांशयुक्त भूमि का होना नितान्त आवश्यक है ।

ब्रोकली ठन्डे मौसम की फसल है जिसे ठन्डी जलवायु की आवश्यकता होती है । 10-20 डी०सेग्रेड तापमान उत्तम वृद्धि हेतु अच्छा माना जाता है । गर्म जलवायु उचित नहीं होती है ।

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स्प्राउटिंग ब्रोकली की खेती के लिए खेत की तैयारी (Sprouting Broccoli Ki Kheti Ke Liye Khet Ki Taiyari)

ब्रोकली की फसल के लिये 2-3 बार मिट्‌टी पलटने वाले हल से जुताई करें क्योंकि खरीफ की फसल के अभिशेष गल-सड़ जायें अर्थात् खेत को खरपतवार व घास रहित कर लें! आवश्यकतानुसार जुताई करके खेत को भली-भांति भुरभुरा कर तैयार कर लें । जिससे खेत में खरपतवार ना उगें तथा ढेले रहित खेत भी होना चाहिए ।

स्प्राउटिंग ब्रोकली की उन्नत किस्में (Improved Varieties of Sprouting Broccoli)

ब्रोकली की किस्में अधिक नहीं है लेकिन कुछ किस्में हैं जिन्हें उगाया जाता है ।

  1. ग्रीन हेड किस्म (Green Head)- इस किस्म के शीर्षक ग्रीन (हरे) रंग के होते हैं जो ऊपर से जुड़े हुए होते हैं ।
  2. इटैलियन ग्रीन (Italiyan Green)- यह भी हरे रंग की भली-भांति शीर्ष दिखाई देते हैं जो ऊपर से कुछ खुले हुए दिखाई देते हैं ।
  3. डी.पी.जी.वी.-1 (D.P.G.V-1, Varietiy)- यह किस्म विकसित की गई है । जिसका रंग कुछ हल्के हरे जैसा होता है । लेकिन नीचे से शीर्ष हरे रंग के होते हैं ।
  4. संकर (F1) कोई भी लगा सकते हैं तथा विदेशी (Improted Seed) कोई भी बोयें |
  5. डी.पी.पी.बी.-1 (D.P.P.B-1)- इस किस्म के शीर्ष कुछ जामुनी होते हैं ।

बीज की मात्रा / प्रति हैक्टर (Seeds Rate)

ब्रोकली का बीज भी अन्य गोभी की तरह प्रयोग होता है । बीज की मात्रा 400-500 ग्राम प्रति हैक्टर, 200 ग्राम प्रति एकड़ तथा 40-50 ग्राम बीज प्रति बीघा या 1000 वर्ग मी. के क्षेत्र के लिये पर्याप्त होता है । बीज फूल, गोभी पत्ता व गांठ गोभी के समान होता है ।

बीज की बुवाई का समय (Time of Sowing the Seeds)

बीज की बुवाई पौधशाला में सितम्बर के मध्य से अक्टूबर के माह में करें तथा खेत या क्यारियों में बीज बुवाई के 20-25 दिन बाद यानि अक्टूबर के अन्तिम सप्ताह व नवम्बर में अवश्य करें क्योंकि देरी से बोने पर शीर्ष गुणवत्ता वाले तैयार नहीं होते ।

खाद एवं उर्वरकों की मात्रा (Quantity of Manure and Fertilizers)

इस सब्जी के लिए गोबर की सड़ी खाद 8-10 टन प्रति हैक्टर तथा नाइट्रोजन 40 किलो, सुपर फास्फेट 80 किलो तथा पोटाश 70 किलो प्रति हैक्टर की आवश्यकता पड़ती है । यदि नाइट्रोजन, कैल्सियम अमोनियम नाइट्रेट का प्रयोग किया जाये तो फसल के परिणाम उत्तम मिलते हैं । गोबर की खाद, सुपर फास्फेट व पोटाश को खेत की तैयारी के समय ही देना चाहिए । नाइट्रोजन की आधी मात्रा भी खेत तैयारी के समय तथा शेष मात्रा को दो बार में खड़ी फसल में देना उचित रहता है ।

पौध की रोपाई (Transplanting of Seedling)

जब पौध फूल गोभी की तरह 8-10 सेमी. लम्बी हो जाये तो पंक्ति से पंक्ति की दूरी 60-45 सेमी. तथा पौधे से पौधे की दूरी 45 सेमी. रखनी चाहिए । सम्भवत: पौध की रोपाई शाम को करें तथा तुरन्त पानी दें । पौध की गहराई 3-4 सेमी. रखें ।

सिंचाई (Irrigation)

प्रथम सिंचाई रोपाई के तुरन्त बाद करें तथा अन्य सिंचाई 10-12 दिन के अन्तराल से करते रहें । इस प्रकार से शरदकाल में 15 दिन के अन्तराल से सिंचाई करनी चाहिए ।

निकाई-गुड़ाई ( Hoeing)

पौध रोपने के 15 दिन बाद प्रथम गुड़ाई करें तथा जंगली घास होने पर निकाल दें । इस प्रकार से 2-3 बार निकाई-गुड़ाई की आवश्यकता पड़ती है । इसी समय कोई पौधा मर गया तो रोपाई कर देनी चाहिए । पौधों पर हल्की इसी समय मिट्‌टी भी चढ़ा देनी चाहिए जिससे पौधा न गिरे ।

शीर्षों की कटाई (Harvesting of Heads)

शीर्षों को काटने या तोड़ने का भी एक समय है । हैड की कलियां (Buds) बड़ी या खुलने से पहले ही कच्चे नर्म फूलों या हैडस को काटना चाहिए अन्यथा ब्रोकली की गुणवत्ता नष्ट हो जाती है । इन तैयार शीर्षों को 12-15 सेमी. लम्बे डंठल के साथ काट लेना चाहिए ।

यह सब्जी किचन गार्डन के लिये अति उत्तम रहती है । शरद ऋतु की फसल होने से छतों, बॉलकनी तथा नीचे क्यारियों में आसानी से उगाई जा सकती है ।

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पैदावार (Yield)

ब्रोकली के एक हैड को काटने के बाद पौधों में नई-नई शाखाएं निकल आती हैं । इस प्रकार से पौधे का प्रथम हैड लगभग 200-400 ग्रा. तथा अन्य छोटे हैड 100-150 ग्रा. तक के होते हैं । इस प्रकार से एक पौधे से औसतन 800-1000 ग्रा. या एक किलो तक हैक (ब्रोकली) मिलते हैं तथा प्रति हैक्टर 160-200 क्विंटल उपज मिल जाती है ।

कीट व बीमारियां (Insect and Disease)

कीट पिछेती फसल में लगते हैं जैसे-एफिडस, कैटरपिलर आदि । इनकी रोकथाम हेतु रोगोर, मेटासीड तथा नुवान 1 ml / L के घोल का छिड़काव करें । बीमारी में अधिकतर पत्तियों पर धब्बे हो जाते हैं जो काले भूरे रंग के बन जाते हैं । इनकी रोकथाम के लिये फफूंदीनाशक-डाइथेन एम-45 का 2 ग्रा. प्रति लीटर का घोल बनाकर छिड़काव करें ।

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