
ऐतिहासिक अध्ययन से पता चलता है कि यह खेल लगभग 9वी शताब्दी के आस-पास इंग्लैंड में शुरू हुआ | प्रारम्भ में इस खेल की लोकप्रियता यूरोप के कुछ देशो तक सीमित थी| उस समय इस खेल को पिंग-पोंग नाम से जानते थे (table tennis was known as Ping – Pong earlier)| इसे टेबल टेनिस नाम सन् 1922 में दिया गया है| 1922 में ही इस खेल की अतंर्राष्ट्रीय समिति का गठन किया गया तथा इसकी नियमावली बनाई गई|
राष्ट्रीय टेबल टेनिस चैंपियनशिप का भारत में सबसे पहले आयोजन 1938 में कलकत्ता में किया गया था (First time in India, National Table Tennis Championship was organised in 1938 at Kolkata)| 1926 में पहली बार विश्व टेबल टेनिस प्रतियोगिता (World Table Tennis Championship) का आयोजन किया| सन् 1966 में यूरोपियन टेबल टेनिस की प्रतियोगिता वेम्बले में सम्पन्न हुई थी, जिसमे विश्व के 33 देशो ने भाग लिया था| इसमे महिलाओं की भी भागीदारी थी| वर्थमान में भारत में समय-समय पर कई प्रतियोगिताओ का आयोजन किया जाता है, जैसे सहारा राष्ट्रीय चैंपियनशिप,कॉरबिलियन कप आदि| यह एकल व युगल दोनों रूपों में खेला जाता है|
टेबल टेनिस खेल का मैदान व उपकरण Size of Table Tennis Table and Ball
यह खेल इनडोर खेल है (Table tennis is an Indoor game)| इसका आयोजन एक निश्चित आकार की समतल टेबल पर किया जाता है| टेबल के ऊपर ही आवश्यक रेखांकन होता है|
Size of Table of Table Tennis – इस टेबल की लंबाई 2.74 मीटर एवं चौडाई 1.52 मीटर होती है| जमीन से इसकी ऊंचाई 0.76 मीटर होती है| टेबल के ऊपरी भाग का रंग काला, हरा, नीला होता है| जिस पर सफ़ेद रंग से रेखांकन किया जाता है| टेबल के ऊपरी भाग को दो समान भाग में मध्य रेखा के माध्यम से विभाजित किया जाता है| टेबल की ऊपरी सतह इस प्रकार की बनी होती है कि यदि बॉल को एक फीट की ऊंचाई से गिराए, तो बाल की अधिकतम उछाल 83/4 इंच 91/2 इंच के मध्य होनी चाहिए|
Equipment required for playing table tennis – इस खेल में कुछ उपकरणों की आवश्यकता होती है, जैसे टेबल, नेट, बॉल, रैकेट, स्कोर शीट, सीटी आदि| टेबल के मध्य में बांधे गए नेट की ऊंचाई 15.25 से.मी. होती है| नेट को टेबल पर स्थित दो सपोर्ट्स से बांधा जाता है जो दोनों ओर 15 से 25 से.मी. बाहर निकला होता है| बॉल का वजन 37 से 39 ग्राम के मध्य होता है| इसकी परिधि 3.72 से.मी. से 3.82 से.मी. तक होती है| रैकेट के आकार एवं वजन पर कोई नियंत्रण नहीं है| रैकेट लकड़ी का बना होता है, जिसके बाहरी भाग पर दोनों ओर रंगीन रबड़ का प्रयोग किया जाता है| टेबल टेनिस के नियमानुसार महिला खिलाड़ी को स्कर्ट, ब्लाउज़, जूते व जुराब का इस्तेमाल करना चाहिए|

टेबल टेनिस खेल में सर्विस कैसे करते हैं How to Service in Table Tennis
सर्विस करने वाला खिलाड़ी,जिसे सर्वर कहा जाता है, गेंद को अपनी हथेली पर रखता है| ऐसे में हाथ की उंगलिया जुड़ी होती है तथा अंगूठा मुक्त रहता है| सर्वर गेंद को हवा में उछालता है| वह मेज पर टप्पा खाते ही गेंद को रैकेट से मार्कर दूसरे खिलाड़ी की ओर फेंकता है| गेंद पहले सर्विस देने वाले खिलाड़ी के कोर्ट में टप्पा खाकर जाल को पार करती है| जंहा से दूसरा खिलाड़ी अपने रैकेट से गेंद को हिट करके वापस खिलाड़ी की ओर धकेलता है| सर्विस के दौरान जब गेंद रैकेट से लगे, तो गेंद सर्विस करने वाले खिलाड़ी के कोर्ट की अंत रेखा तथा इसके दोनों ओर के विस्तार के पीछे रहनी चाहिए|
युगल खेल की सर्विस कैसे होती है Service in Double Table Tennis Game
युगल खेल में सेर्व्के के दौरान गेंद पहले मेज के दाएं के आधे कोर्ट को छूती है, फिर तिरछी होकर जाल के पार के कोर्ट को छूना चाहिए| यदि गेंद केंद्र रेखा पर टप्पा खाती है, तो भी इसे नियमानुसार माना जाता है| पहले पाँच अंको तक सर्विस करने के बाद अपना स्थान दायां-बायां बदल लेते है| इस प्रकार 1-2 तथा 3-4 खिलाड़ियो के बीच सर्विस का क्रम चलता रहता है| पहले पाँच अंको के लिए 1 नंबर का खिलाड़ी 3 नंबर के खिलाड़ी को सर्विस देता है| अगले पाँच अंको के लिए 3 नंबर का खिलाड़ी 2 नंबर के खिलाड़ी को,अगले पाँच अंको के लिए 2 नंबर का खिलाड़ी 4 नंबर के खिलाड़ी को तथा अगले चौथे-पांचवे अंको के लिए 4 नंबर का खिलाड़ी 1 नंबर के खिलाड़ी को सर्विस देता है| यह क्रम तब तक चलता रहता है, जब तक कि कोई टीम जीत न ले अथवा ड्यूस न हो जाए| जब स्कोर 20-20 हो जाता है, परंतु इस स्थिति में पांच के स्थान पर केवल एक सर्विस दी जाती है|
टेबल टेनिस खेल के नियम Rules of Table Tennis Game In Hindi
टेबल टेनिस में बेल के निम्नलिखित नियम होते है जिनको ध्यान में रखना पड़ता है-
1. | खेल के दौरान गेंद नेट के ऊपर से जाना अनिवार्य है| |
2. | सर्विस के बाद जब गेंद नेट के ऊपर से दूसरे कोर्ट में पहुचती है एवं सही जगह टप्पा खाकर उठती है, उस समय विपक्षी खिलाड़ी द्वारा गेंद को दूसरे कोर्ट में फेंका जाता है| |
3. | जो खिलाड़ी पहले गेंद फेंकता है, उसे सर्वर कहते हैं और जो उसे वापस लौटाता है उसे रिसीवर कहते है| |
4. | गेम के बीच में टेबल का पिछला भाग प्रयोग में लाया जाता है| |
5. | यदि सर्वर नेट के ऊपर से गेंद दूसरे कोर्ट में पहुचाने में विफल रहता है, तो वह अपना अंक खो देता है| |
6. | लगातार दो बार गेंद को मारना फाउल है| |
7. | एक गेम की अवधि 15 मिनट होती है| |
8. | यदि खेल के दौरान खिलाड़ी के शरीर का कोई भाग टेबल या नेट से छूता है, तो उसे अवैध घोषित किया जाता है| |
9. | जो खिलाड़ी पहले 21 अंक बना लेता है, वह विजयी माना जाता है| 20-20 अंक बनाने की स्थिति में जो खिलाड़ी दो लगातार अंक बना लेता है, वह विजेता माना जाता है| |
10. | मैच में कम-से-कम तीन व अधिक-से-अधिक पांच गेम खेले जाते है|अवकाश के अंतर्गत 5 मिनट का समय दिया जाता है| |
11. | गेंद खिलाड़ी के शरीर व कपड़ों आदि से स्पर्श नहीं होनी चाहिए| |
12. | स्पर्धा के अंदर प्रत्येक गेम के बाद दिशा को परिवर्तित किया जाता है| |
13. | अंतिम गेम के एकल स्पर्धा में जो खिलाड़ी पहले पांच अंक अर्जित कर लेता है, उसे दिशा परिवर्तन करने का अधिकार मिल जाता है| |
14. | युगल स्पर्धा में जो दल पहले 10 अंक अर्जित कर लेता है, उसे दिशा परिवर्तन करने का अधिकार मिल जाता है| |
15. | दिशा परिवर्तन के बाद रिसीवर सर्वर बन जाता है और सर्वर रिसीवर| |
16. | एकस्पिडाइट पद्धति के अंदर यदि खेल शुरू होने के 15 मिनट में समाप्त नहीं होता, तो उस गेम का शेष भाग एकस्पिडाइट पद्धति से सम्पन्न किया जाएगा| इस पद्धति के अंदर प्रत्येक खिलाड़ी बारी-बारी से एक-एक सर्विस करेगा| |
अंक गंवाने की स्थितियां कौन सी होती हैं ?
इस खेल में निम्नलिखित स्थितियां में एक खिलाड़ी अपना अंक खो देता है-
1. | यदि गेंद एक खिलाड़ी के कोर्ट में दो बार टप्पा खाती है| |
2. | यदि खिलाड़ी बिना टप्पा खाए गेंद को वापस भेजता है| |
3. | गेंद खेलने के दौरान खिलाड़ी का हाथ मेज के तल को स्पर्श कर जाता है| |
4. | जब खिलाड़ी गेंद को बार-बार रैकेट से खेलता है| |
5. | जब खिलाड़ी गेंद को सही ढंग से लौटाने में विफल रहता है| |
6. | जब सर्वर सर्विस देने या लेने वाला खिलाड़ी अनुक्रम से बाहर गेंद मारता है| |
7. | जब वाँली होती हो अथवा गेंद को बांधा पहुँचती हो| |
8. | रैले लेट होने पर| |
खिलाड़ी को लेट कब माना जाता है When Player is Considered Late
1. | सर्विस हो जाने के बाद एम्पायर महसूस करता है कि दूसरी ओर का खिलाड़ी या टीम तैयार नहीं है और सर्विस प्राप्त करने वाला खिलाड़ी या उसका साथी भी गेंद मारने को तैयार न हो, ऐसी दशा में एम्पायर लेट कहता है तथा सर्विस दोबारा दी जाती है| |
2. | सर्विस की गेंद जाल के ऊपरी हिस्से को छूकर अथवा जाल की किसी असेंबली को छू जाती है, तो रैली लेट होती है| |
3. | सर्विस प्राप्त करने वाले या लौटाने वाले खिलाड़ी द्वारा कोई बाधा पहुंचाई गई हो, तो गेंद वाँली कहलाती है| |
4. | खेल के दौरान गेंद टूट जाती है तथा खिलाड़ी को उसे लौटाने में असुविधा होती हो, तो एम्पायर खेल रुकवा देता है| यह समय लेट कहलाता है| |
टेबल टेनिस के अर्जुन पुरस्कार विजेता table tennis arjuna award winners
नाम | वर्ष |
जे.सी. वोहरा | 1961 |
गौतम आर. दीवान | 1965 |
उषा सुंदरराज | 1966 |
फारुख खोदयजी | 1967 |
मीर कासिम अली | 1969 |
गुडालौर जगन्नाथ | 1970 |
केटी फारुख खोदयजी | 1971 |
नीरज रामकृष्णन् बजाज | 1973 |
सलोखे शैलजा | 1976 |
इंदु पुरी | 1979-80 |
मनजीत दुआ | 1980-81 |
वी.चन्द्रशेखर | 1982 |
कमलेश एन. मेहता | 1985 |
मोनालिसा बरुआ मेहता | 1987 |
नियति शाह | 1989 |
एम. एस. वालिया | 1990 |
चेतन पी. बवूर | 1997 |
सुब्रमनियम रमन | 1998 |
मन्टू घोष | 2002 |
अचंता एस. कमाल | 2004 |
सौम्यदीप राय | 2005 |
सुभजीत साहा | 2006 |
पालोभी धारक | 2009 |
मौमा दास | 2013 |
सौम्यजीत घोष | 2016 |
एंथोनी अमलराज | 2017 |
साथियाँ नानशेखरन & मनिका बत्रा | 2018 |
हरमीत देसाई | 2019 |