
तेन्जिंग नोर्गे का जीवन परिचय (Tenzing Norgay Biography In Hindi Language)
नाम : तेन्जिंग नोर्गे
जन्म : मई, 1914
जन्मस्थान : खर्ता घाटी, (तिब्बत)
मृत्यु : 9 मई, 1986
तेन्जिंग नोर्गे, जिन्हें शेरपा तेन्जिंग कहा जाता था, विश्व की सबसे ऊँची चोटी माउन्ट एवरेस्ट पर फतेह पाने वाले प्रथम भारतीय थे | उन्होंने न्यूजीलैंड के प्रसिद्ध पर्वतारोही एडमंड हिलेरी के साथ 29 मार्च, 1953 को 8,848 मीटर ऊँचाई वाले पर्वत एवरेस्ट की चोटी पर चढ़ने में सबसे पहले सफलता प्राप्त की थी ।
तेन्जिंग नोर्गे का जीवन परिचय (Tenzing Norgay Biography In Hindi)
तेन्जिंग का जन्म मई 1914 में तिब्बत की खर्ता घाटी में एक गरीब किसान परिवार में हुआ था । उनके जन्म की सही तिथि मालूम नहीं है लेकिन फसलों व मौसम के अनुसार उनका जन्म मई के अन्त में हुआ था । एवरेस्ट पर्वत पर चढ़ाई के पश्चात् वह अपना जन्मदिन 29 मई को मनाने लगे थे ।
उनका बचपन का नाम ‘नामग्याल वागंडी’ था लेकिन लामा प्रमुख ने उनका नाम बदल कर ‘नगावांग तेन्जिंग नोर्गे’ कर दिया था जिसका अर्थ है-धनी, भाग्यशाली, धर्म को मानने वाला । उनके पिता घांग ला मिंगमा याक पालने वाले थे । उनकी मां का नाम डोक्यो किन्जम था । उनकी मां उनके पर्वतारोहण तक जीवित थीं । अपने माता-पिता के 13 बच्चों में वह 11वीं संतान थे, जिनमें से अधिकांश की मृत्यु हो गई थी ।
तेन्जिंग को खुमजंग भूटिया नाम से भी पुकारा जाता था । वह बुद्ध धर्म के अनुयायी थे । उन्होंने भारत की नागरिकता 1933 में ग्रहण कर ली थी । वह बचपन में दो बार काठमांडू भाग गए थे । बाद में 19 वर्ष की उम्र में पश्चिमी बंगाल के दार्जिलिंग में शेरपा जाति के साथ रहने लगे ।
1930 में 3 ब्रिटिश अधिकारियों ने उत्तरी तिब्बत की ओर से माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने का प्रयास किया था तब तेन्जिंग ने उनके साथ ऊँचाई तक कुली का कार्य किया था । अन्य कई बार तेन्जिंग को चढ़ाई करने का अवसर मिला । सबसे ठठिन चढ़ाई उन्होंने 19490 के दशक में नन्दा देवी पूर्वी चोटी की की थी ।
1947 में उन्होंने पुन: चढ़ने का प्रयास किया जिसमें अनधिकृत रूप से कई देशों के तीन लोग चढ़ाई कर रहे थे । परन्तु 22,000 फीट की ऊँचाई पर जबरदस्त तूफान के कारण प्रयास विफल हो गया । तीनों लोग हार मानकर वापस लौट आए ।
1952 में स्विस लोगों ने पुन: एवरेस्ट पर चढ़ने का प्रयास किया । रेमंड लैम्बर्ट के नेतृत्व में गम्भीरता पूर्वक चढ़ाई का प्रयास नेपाल की की ओर से किया गया | लैम्बर्ट 8599 मीटर की रिकार्ड ऊंचाई तक पहुँचने में सफल रहे ।
1953 में जॉन हंट एक्सपेडीशन में उन्होंने सातवीं बार एवरेस्ट पर चढ़ने का प्रयास किया और हिलेरी सर्वप्रथम एवरेस्ट पर पहुँचने में सफल रहे । उनके साथ ही तेन्जिंग ने भी सफलता प्राप्त की । उनका वापस आने पर भारत व नेपाल में भव्य स्वागत किया गया । इन लोगों की भगवान बुद्ध तथा शिव का अवतार मान कर पूजा की जाने लगी ।
उन्हें ब्रिटिश सरकार की ओर से ‘जॉर्ज मेडल प्रदान’ किया गया । एक मजेदार बात यह रही कि एवरेस्ट की चोटी पर जितने भी फोटो खींचे गए, उनमें केवल तेन्जिंग ही दिखाई दे रहे थे । बाद में पता लगा कि तेन्जिंग को कैमरे से फोटो खींचना नहीं आता था अत: एवरेस्ट की चोटी पर हिलेरी फोटो खींचते रहे थे ।
तेन्जिंग ने तीन बार विवाह किया था । पहली पत्नी दावा फुटी की युवावस्था में 1944 में मृत्यु हो गई । अन्य पत्नियों के नाम आंग लाहमू तथा डक्कू थे । उनके बच्चों के नाम पेम, नीमा, जामलिंग व नोर्बू थे ।
भारत सरकार ने उन्हें 1959 में ‘पद्मभूषण’ देकर सम्मानित किया था । 1954 में ‘हिमालयन माउन्टेनियरिंग इंस्टिट्यूट की दार्जलिंग (प. बंगाल) में स्थापना की गई और तेन्जिंग नोर्गे को उसमें निदेशक बनाया गया । उनका निक नेम ‘टाइगर ऑफ स्नोज’ रखा गया था । 1978 में उन्होंने ‘तेन्जिंग नोर्गे एडवेन्चर्स’ नाम की कम्पनी बनाई जो हिमालय में ट्रेकिंग कराती थी । 2003 में उनके पुत्र जैमलिंग तेन्जिंग नोर्गे इस कंपनी को चला रहे थे जो 1996 में एवरेस्ट विजय प्राप्त कर चुके हैं ।
तेन्जिंग नोर्गे का 9 मई, 1986 को दार्जिलिंग में निधन हो गया ।
उपलब्धियां :
तेन्जिंग नोर्गे, एडमडं हिलेरी के साथ विश्व में सवर्प्रथम एवरेस्ट विजेता बने । उन्होंने 29 मई, 1953 को एवरेस्ट की सरगमाथा चोटी पर चढ़ने में सफलता प्राप्त की ।
उन्हें भारत सरकार ने ‘पदमभूषण’ (1959) देकर सम्मानित किया ।
ब्रिटिश सरकार ने उन्हें ‘जॉर्ज मेडल’ देकर सम्मानित किया ।
1954 में हिमालयन माउंटेनियरिंग इंस्टिट्यूट के वह निदेशक बने ।
1978 में उन्होंने तेन्जिंग नोर्गे एडवेंचर्स नाम की कपंनी ट्रेकिंग के शौकीनों के लिए बनाई ।
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