
उत्तर प्रदेश जनसंख्या की दृष्टि से भारत का सबसे बड़ा राज्य है। हिन्दु धर्म के सबसे अधिक थार्मिक तीर्थ स्थान इसी प्रदेश में हैं। यह भगवान राम व कृष्ण की जन्म भूमि है। भारत की सबसे पवित्र नदियों गंगा और यमुना का स्रोत भी इसी प्रदेश में है। इस प्रदेश में ही बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री व यमुनोत्री जैसे प्रमुख धाम ही नहीं, हरिद्वार व प्रयागराज जैसे तीर्थ भी हैं, जहां हजारों वर्षों से महाकुंभों का आयोजन होता है। इन तीर्थों के महत्व की चर्चा वेदों व पुराणों तक में मिलती है।
आज से हजारों वर्ष पूर्व भी जब यात्रा पर निकलना बहुत कठिन व जोखिम भरा था, भारत के कोने-कोने से श्रद्धालु इन तीर्थों की यात्रा किया करते थे। सुदूर दक्षिण भारत के कई विद्वान शंकराचार्यों ने यहां स्थित हिमालय की दुर्गम पहाड़ियों पर तपस्या की। यहां अयोध्या व मथुरा जैसे प्राचीन शहर हैं जो स्वयं भगवान राम और कृष्ण की जन्म स्थली हैं। इसलिए धार्मिक दृष्टि से उत्तर प्रदेश राज्य के विषय में जितना लिखा व कहा जाए, उतना कम है।
भारतवर्ष के समूचे इतिहास में यह सामाजिक व राजनैतिक घटनाक्रम का भी मुख्य केन्द्र रहा है। उत्तर प्रदेश मुगल सल्तनत का गढ़ भी था। यहां स्थित आगरा शहर एक लम्बे समय तक मुगल साम्राज्य की राजथानी था। यहीं पर विश्व की वह महान धरोहर ताजमहल भी है, जिसे एक नजर देखने भर के लिए विश्वभर के लोग लालायित रहते हैं। लखनऊ इस प्रदेश की राजधानी है, जिसे नवाबों का शहर कहा जाता है। यहां पुराने जमाने की अनेक ऐतिहासिक इमारतें व संग्रहालय हैं।
भारत के स्वतंत्रता संग्राम में भी उत्तर प्रदेश का बहुत बड़ा योगदान रहा है। भारत के कई प्रथानमंत्री, जैसे कि स्वर्गीय जवाहरलाल नेहरू, श्रीमति इंदिरा गांधी, लाल बहादुर शास्त्री व विश्वनाथ प्रताप सिंह भी इसी प्रदेश के थे।
यहां सभी धर्मों के मानने वाले लोग हैं। भगवान बुद्ध ने इसी प्रदेश में स्थित सारनाथ नामक स्थान पर विश्व को ज्ञान व शांति का उपदेश दिया था। यह प्रदेश मुस्लिम कला व संस्कृति का भी एक प्रमुख केन्द्र है। देश के मानचित्र पर कुछ समय पहले एक नए राज्य के रूप में उभरकर आने वाले उत्तरांचल राज्य को भारत की देवभूमि भी कहा जाता है। यह सच भी है, क्योंकि इस राज्य में हिन्दुओं के सबसे अधिक व महानतम तीर्थ-स्थल हैं, जैसे कि बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्री वा हरिद्वार इत्यादि ।
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