एक गरीब व्यापारी छोटे से कस्बे में रहता था| उसने सोचा वह दूर देशों में जाकर अपना भाग्य आजमाएं शायद वहां ज्यादा दौलत कमा सके|
यह सोच कर उसने अपनी बची हुई चीजों को एक गठरी में बांध लिया| उसके पास एक लोहे की बड़ी तराजू थी और यह तराजू बहुत भारी लेकिन शुद्ध लोहे से बना हुआ था| वह तराजू को गिरवी रखने वाले व्यापारी के पास लेकर गया| उसने कुछ रुपए देकर उस तराजू को गिरवी रख लिया|
व्यापारी ने उससे कहा कृपया मेरी तराजू को संभाल कर रखिएगा| यह हमारे खानदान की बहुत पुरानी निशानी है, मैं इसे धन पाने की वजह से आपके पास गिरवी रख रहा हूं| और जैसे ही मेरे पास इसे छुड़ाने के लिए धन एकत्र हो जाएगा मैं वापस आकर तुम्हारे पैसे लौटा दूंगा और यह तराजू मैं ले जाऊंगा| गिरवी रखने वाले व्यापारी ने कहा ठीक है, मैं इसे संभाल कर रखूंगा|
व्यापारी अपने रास्ते चला गया जैसे-जैसे समय गुजरता गया वह दूर देशों में घूमा और बहुत परिश्रम किया|
उसने कई प्रकार के व्यापार किए जिससे उसकी किस्मत चमक उठी और उसने खूब पैसा कमा लिया|
अब वह धनवान आदमी बन गया और एक सुंदर शहर में एक अच्छा मकान खरीद लिया| अब उसे अपने पुराने घर जाने की इच्छा हुई| अब उसे अपनी तराजू भी वापस लेने का खयाल आया| वह सीधे उस गिरवी रखने वाले व्यापारी की दुकान पर गया|
गिरवी रखने वाला उस गरीब व्यापारी को बढ़िया कपड़े में देखकर आश्चर्यचकित हो गया और उसकी आंखें खुली की खुली रह गई|
इस पर व्यापारी ने मुस्कुरा कर पूछा कि क्या मुझे पहचान रहे हो मैं आपके पास अपनी खानदानी तराजू छोड़ गया था और तुमने कृपा करके कुछ रुपए भी दिए थे| अब मैं तुम्हारा सारा धन लौटाकर अपनी तराजू वापस लेने आया हूं|
गिरवी रखने वाला दुख भरी आवाज में बोला मैं तुम्हारी तराजू जो अपने स्टोर में संभाल कर रखी थी, पर चूहों ने उस पर हमला बोल दिया और सारी की सारी तराजु खा गए|
व्यापारी उसकी झूठी बातों को सुन उदास हो गया पर उसने अपना गुस्सा नहीं दिखाया| वह बोला तुम्हारे यहां बहुत ही शक्तिशाली चूहे होंगे|
जाने से पहले मैं नदी में स्नान करना चाहता हूं| क्या आप अपने पुत्र को मेरे साथ भेज सकते हैं? हां हां, क्यों नहीं|
गिरवी रखने वाले का लड़का और व्यापारी दोनों नदी की ओर चल पड़े| वहां जाकर व्यापारी ने पास वाली गुफा में लड़के को बंद कर दिया और गुफा का द्वार को बड़े पत्थर से ढक दिया|
व्यापारी नदी में स्नान कर तरोताजा हो गया और जल्दी से गिरवी रखने वाले व्यापारी के पास पहुंचा और कहा अब मैं नदी में नहा कर बिल्कुल तरोताजा हो गया हूं, मैं अपने घर वापस जा रहा हूं|
मैं तुम्हें विदा कहने आया हूं| ‘किंतु मेरा पुत्र कहां है?’ गिरवी रखने वाला बोला, ‘हाय! जब मैं नदी में नहा रहा था, तभी एक बाज नीचे की तरफ आया और उसे उठाकर ले गया’ – व्यापारी ने कहा|
गिरवी रखने वाला चिल्लाया – ‘एक बाज इतने बड़े बालक को कैसे उठा कर ले जा सकता है? तुम एकदम झूठ बोल रहे हो| यदि चूहे लोहे की तराजू को खा सकते हैं, तो बाज भी लड़के को उठा कर ले जा सकता है – व्यापारी ने जवाब दिया और कहा – ‘यदि तुम मेरी तराजू वापस कर दो तो मैं तुम्हारा लड़का भी तुम्हें लौटा दूंगा|’ गिरवी रखने वाला गुस्से से बोला – ‘पर तुम्हारी तराजु खा गए|’ ‘इसी तरह बाज भी तुम्हारे लड़के को उठाकर मेरी आंखों के सामने ले गया’ – व्यापारी आराम से बोला|
गिरवी रखने वाला बोला मैं तुम्हें कोर्ट कचहरी में ले जाऊंगा, जब जज तुम्हारे झूठ को सुनेगा तब तुम्हे तुम्हें बहुत बड़ा दंड मिलेगा| उसने व्यापारी को धमकाया, परन्तु व्यापारी कतई न डरा, उसने कहा – ‘चलो चलते हैं|’
जज ने गिरवी रखने वाले की बात सुनी| जज व्यापारी से गुस्से से बोला – ‘क्या कभी बाज भी किसी आदमी को उठा कर ले जा सकता है| यह बिल्कुल झूठ है|’ व्यापारी ने जवाब दिया – ‘यह उसी तरह से झूठ है जैसे कि चूहे का लोहे की तराजू को खा जाना|
’ न्यायाधीश ने पूछा, इसका क्या मतलब है? तब व्यापारी ने उन्हें सारी कथा सुनाई – ‘कई वर्ष पहले मैं इस के पास अपनी कीमती तराजू गिरवी रख कर गया था| मैं अपनी तराजू लेने आया हूं अब यह कहता है कि राजू को चूहों ने खा लिया|’ न्यायाधीश या सुनकर हंसा और गिरवी रखने वाले से बोला इसकी तराजू वापस कर दो, तुम्हें अपना बेटा भी मिल जाएगा|
बाद में जब व्यापारी तराजू समेत अपने घर लौट रहा था तो वह मुस्कुराया और सोचने लगा कि गिरवी रखने वाले के समझ में आ गया होगा कि एक झूठ बोलकर कभी-कभी इंसान स्वयं फंस जाता है और वह सोचता है कि काश वह सच ही बोला होता |