
विल्सन जोन्स का जीवन परिचय (Wilson Jones Biography In HIndi Language)
नाम : विल्सन जोन्स
जन्म : 2 मई, 1922
जन्मस्थान : पुणे (महाराष्ट्र)
विल्सन जोन्स का नाम विल्सन लायनेल गार्टन जोन्स है | वे स्वतन्त्र भारत के प्रथम खिलाड़ी रहें, जिन्होंने बिलियर्ड्स में विश्व चैंपियनशिप मुकाबला जीता | उन्होंने 1958 तथा 1962 में दो बार विश्व चैंपियनशिप जीती | उन्होंने 1962 में ‘अर्जुन पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया, 1965 में ‘पद्मश्री’ से सम्मानित किया गया, 1990 में महाराष्ट्र सरकार की ओर से ‘महाराष्ट्र गौरव’ पुरस्कार दिया गया तथा 1996 में उन्हें ‘द्रोणाचार्य पुरस्कार’ प्रदान किया गया |दो बार विश्व चैंपियन रहे विल्सन जोन्स 12 बार बिलियर्डस के राष्ट्रीय चैंपियन रहे तथा 5 बार स्नूकर के राष्ट्रीय चैंपियन रहे ।
विल्सन जोन्स का जीवन परिचय (Wilson Jones Biography In HIndi)
विल्सन जोन्स का जन्म 2 मई 1922 को महाराष्ट्र के पुणे में हुआ था । उन्हें बचपन में कंचे (कांच के मार्बल्स) खेलने का बहुत शौक था और उन्हें यह कुशलता से खेलते थे । इसके अतिरिक्त उन्हें अपने अंकल को बिलियर्ड्स खेलते हुए खिड़की से झांक कर देखने में बहुत आनंद आता था । कम उम्र के कारण उन्हें बिलियर्ड्स रूम में जाने की इजाजत नहीं थी । उन्होंने कभी सोचा भी नहीं होगा कि वह जिस खेल को पास से देखने को तरसते थे, एक दिन उस खेल के राजा कहलायेंगे ।
विल्सन जोन्स की शिक्षा बिशप हाईस्कूल तथा विन्सेंटस हाईस्कूल में हुई । 1939 में वह युद्ध सेवा में शामिल हो गए । 1947 से 1950 के बीच जोन्स ने बम्बई मझगांव डाक्स में सिक्योरिटी अफसर के रूप में कार्य किया । फिर उन्होंने ‘हाउस ऑफ विसानजी’ में नौकरी ले ली और वहीं कार्य करते रहे । 1989 में वह विसानजी के चेयरमैन के पर्सनल असिस्टेंट (पी.ए.) के रूप में रिटायर हुए । विसानजी स्वयं इन हरी मेजों तथा इन पर खेले जाने खेलों के बहुत शौकीन थे अत: जोन्स को विसानजी के नेपियन सी रोड के शानदार बंगले में रखी बिलियर्ड्स मेजों पर जाने का मौका अक्सर व आसानी से मिल जाता था ।
जोन्स ने तेजी से खेल में कुशलता प्राप्त करते हुए 1950 में टी.ए. सेल्वराज को हराकर प्रथम राष्ट्रीय खिताब जीत लिया । अगले वर्ष भी उनके वही प्रतिद्वन्द्वी थे और जोन्स ने पुन: उन्हें हरा कर अगले वर्ष की चैंपियनशिप जीत ली । 1953 में जोन्स ने चन्द्रा हिर्जी को हरा कर राष्ट्रीय चैंपियनशिप जीत ली । इसके पश्चात् 1958 तक चन्द्रा हिर्जी ही जोन्स के प्रमुख प्रतिद्वन्द्वी रहे । इस प्रकार 1950 से लेकर 1966 के बीच जोन्स बिलियर्ड्स में बारह बार राष्ट्रीय चैंपियन रहे ।
विल्सन जोन्स ने स्नूकर 1948 से ही खेलना आरम्भ कर दिया था और उसी वर्ष 1948 में भारत में पहली बार उन्होंने स्नूकर की राष्ट्रीय चैंपियनशिप जीती । इस प्रकार वह स्नूकर में बिलियर्ड्स से पूर्व विजेता बने । स्नूकर की चैंपियनशिप जोन्स ने 1952, 1954, 1958 तथा 1960 में (चार बार) जीती । उन्होंने बिलियर्ड्स की राज्य की चैंपियनशिप 8 बार तथा स्नूकर की राज्य की चैंपियनशिप छह बार जीती ।
विल्सन जोन्स ने विश्व स्तर पर पहला प्रयास 1951 कलकत्ता में हुई वर्ल्ड अमेचर बिलियर्ड्स चैंपियनशिप में किया, लेकिन इस वर्ष वह अन्तिम खिलाड़ी रहे । अगले वर्ष वह विश्व प्रतियोगिता में भाग लेने लंदन गए लेकिन इस बार भी भाग्य ने उनका साथ नहीं दिया और वह नहीं जीत सके । उनके लिए उस वक्त लंदन जाना बहुत कठिन कार्य था । उन्हें प्रतिदिन 1 पौण्ड मिलता था, जिसमें रहने व खाने के खर्च के बाद कुछ नहीं बचता था । अपने अडिग साहस के दम पर उन्हें फिर भी ‘श्रेष्ठतम खिलाड़ी’ (बेस्ट स्पोर्ट्समैन) का पुरस्कार दिया गया । 1953 में विल्सन जोन्स अन्तरराष्ट्रीय खेल में चौथे स्थान पर रह गए ।
उनके जीवन में खुशी का क्षण तब आया जब 1958 में जोन्स ने कलकत्ता के ग्रेट ईस्टर्न होटल में आयोजित ‘वर्ल्ड अमेचर बिलियर्ड्स चैंपियनशिप’ जीत कर यह पुरस्कार जीतने वाले प्रथम भारतीय खिलाड़ी होने का गौरव प्राप्त किया । अगले वर्ष इंग्लैंड में हुई विश्व चैंपियनशिप में वह तीसरे स्थान पर रहे, परन्तु उन्हें इस बात का संतोष था कि उन्होंने 598 अंक का बेहतरीन रिकॉर्ड बनाया है ।
उपलब्धियां :
विल्सन जोन्स 12 बार बिलियर्ड्स के राष्ट्रीय चैंपियन रहे | पहली बार वह 1950 में चैंपियनशिप जीते ।
वह 5 बार स्नूकर के राष्ट्रीय चैंपियन रहे |
उन्होंने महाराष्ट्र राज्य की बिलियर्ड्स चैंपियनशिप 8 बार जीती |
उन्होंने राज्य की स्नूकर चैंपियनशिप छह बार जीती |
उन्होंने 1958 में ‘विश्व वर्ल्ड अमेचर बिलियर्ड्स चैंपियनशिप’ जीती ।
उन्हें 1962 में ‘अर्जुन पुरस्कार’ प्रदान किया गया |
1965 में विल्सन जोन्स को ‘पद्मश्री’ से सम्मानित किया गया|
1990 में उन्हें महाराष्ट्र सरकार का ‘महाराष्ट्र गौरव’ पुरस्कार दिया गया |
1996 में जोन्स को ‘द्रोणाचार्य पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया |
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